________________
में स्थित बडी देवकुलिका में श्री शांतिनाथ भगवान की चतुर्मुखी प्रतिमाजी बिराजमान है। इस जिनालय के मुख्य द्वार से बाहर निकलकर बायीं तरफ मुड़ते ही सगराम सोनी की ढूंक में जाने का रास्ता आता है तथा सामने की दीवार के पीछे नया कुंड है। (3) सगराम सोनी की ट्रॅक : श्री सहस्त्रफणा पार्श्वनाथ भगवान
मेरकवशी की ट्रॅक से बाहर निकलकर उत्तरदिशा के द्वार से सगरामसोनी की ढूंक में प्रवेश होता है। इस बावन जिनालय के मुख्य जिनालय में दो मंजिल वाला अत्यन्त मनोहर रंगमंडप है। इस रंगमंडप से मूलनायक के गर्भगृह में प्रवेश करते ही सामने श्री सहस्त्रफणा पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा बिराजमान है जिसकी प्रतिष्ठा वि.सं. 1859 ज्येठ सुद 7 गुरुवार के दिन आ. जिनेन्द्रसूरि महाराज साहेब ने करवायी। अन्य जिनालयों के गर्भगृह की ऊँचाई की अपेक्षा इस जिनालय के गर्भगृह की अंदर की ऊँचाई कुछ विशेष है। इस गर्भगृह के छत की ऊँचाई 35 से 40 फुट है। गिरनार महातीर्थ के जिनालयों में इस जिनालय का शिखर सबसे ऊँचा है।
इस जिनालय की प्रदक्षिणा भूमि में उत्तरदिशा की तरफ के द्वार से बाहर निकलते ही कुमारपाल की ढूंक में जाने का रास्ता आता है। इस मार्ग की दायीं ओर डाक्टर कुंड तथा गिरधर कुंड आता है। (4) कुमारपाल की ट्रॅक : श्री अभिनंदन स्वामी भगवान
कुमारपाल की ढूंक में प्रवेश करते ही मुख्य जिनालय के चारों ओर बहुत बडा प्रांगण दिखता है। इस प्रांगण से जिनालय में प्रवेश करने पर एक विशाल रंगमंडप आता है जिसमें आगे एक दूसरा रंगमंडप आता है। इस जिनालय के मूलनायक अभिनंदन स्वामी है। इनकी प्रतिष्ठा वि.सं. 1875
78
त्रितीर्थी