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भगवान पार्श्वनाथ का जीवन परिचय
१. काल विचार
पार्श्वनाथ का जन्म ईसापूर्व ८७७ में और निर्वाण ईसापूर्व ७७७ में हुआ था। तिलोयपण्णत्ति नामक ग्रन्थ के चतुर्थ अधिकार में लिखा है कि पार्श्वनाथ भगवान् महावीर के २७८ वर्ष पहले हुए थे। २. जन्म स्थान तथा माता-पिता
तीर्थंकर पार्श्वनाथ का जन्म वाराणसी में राजा अश्वसेन के यहाँ ब्रह्मा देवी के गर्भ से हुआ था। तिलोयपणत्ति के अनुसार पार्श्वनाथ के पिता का नाम हयसेन और माता का नाम वर्मिला था। उत्तरपुराण के अनुसार पिता का नाम विश्वसेन और माता का नाम ब्रह्मा देवी था। वादिराजसूरि कृत पार्श्वनाथ चरित के अनुसार पिता का नाम विश्वसेन और माता का नाम ब्रह्मदत्ता था। तथा समवायांग नामक आगम ग्रन्थ में पिता का नाम अश्वसेन और माता का नाम वामादेवी बतलाया गया है। देवभद्रसूरि के 'पार्श्वनाथ चरित्र' और 'त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र' में अश्वसेन भूप को इक्ष्वाकु वंशी माना है।
पार्श्वनाथ की आयु १०० वर्ष की थी और वे कुमार अवस्था में ही प्रवृजित हो गये थे। उनका कुमार काल ३० वर्ष छद्मस्थ काल था। दीक्षा लेने के बाद तपस्या काल ४ माह और केवल ज्ञान उत्पन्न हो जाने पर अर्हन्त अवस्था काल ६९ वर्ष ८ माह रहा है।
३. नामकरण
बालक ने गर्भस्थ रहते समय अंधेरी रात में पास (पार्श्व) चलते
त्रितीर्थी
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