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जैनधर्मसिंधु. क्रमसें जल, गंध, पुष्प, अक्षत, फल, धूप, दीपसे लोकपालोंका पूजन करे. ॥पी अंजलिमें पुष्प लेके। __“॥ इंसानियमनिई तिवरुणवायुकुबेरेशाननाग ब्रह्मणो लोकपालाः सविनायकाः सदेत्रपालाः सुपू जिताः संतु, सानुग्रहाः संतु, तुष्टिदाः संतु, पुष्टिदाः संतु, मांगल्यदाः संतु, महोत्सवदाः संतु ॥” यह पढके लोकपालोपरि पुष्पारोहण करे. ॥ पी पुष्पां जति लेके ॥ __“॥ अस्मत्पूर्वजा गोत्रसंचवा देवगतिगताः सुपू जिताः संतु, सानुग्रहाः संतु, तुष्टिदाः संतु, पुष्टिदाः संतु, मांगल्यदाः संतु, महोत्सवदाः संतु ॥” ऐसे कहके जिनपादाग्रे पुष्पांजलिदेप करे.॥ पीछे फिर जी पुष्पांजलि लेके ॥ ___ “॥ हैं अर्हनताष्टनवत्युत्तरशतदेवजातयः सदेव्यःपूजां प्रतिबंतु सुपूजिताः संतु, सानुग्रहाः संतु तुष्टिंदाः संतु, पुष्टिदाः संतु, मांगल्यदाः संतु, महोत्सवदाः संतु ॥” ऐसें कहके जिनपादाग्रे अंज लिकेप करे.॥
पी अंजलिके अग्रजागमें पुष्प धारण करके अर्हन्मंत्र स्मरण करके तिस फूलसें जिनप्रतिमाको पूजे ॥ अर्हन्मंत्रो यथा ॥ " “ ॥ ॐ अँई नमो श्ररहंताणं, 3 अँह नमो सयं संबुजाणं, अँ नमो पारगयाणं ॥”