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अष्टमपरिजेद. उज्य वंतोहतस्त्रिलोकस्थिताः नामाकृतिव्य नावयुताःखा हा ॥” यह पढके फिर जिनपूजन करे. ॥ पीले वासक्षेप लेके ॥ ___ “॥ ॐ सूर्यसोमांगारकबुधगुरुशुक्रनैश्चरराहुकेतु मुखाग्रहाः इह जिनपादाग्रे समायांतु पूजां प्रतीळ तु ॥” ऐसें पढके जिनपादसे नीचे स्थापित ग्रहोंके ऊपर, वा स्नानपट्टके ऊपर वासदेप करे. ॥ पीने ॥
“॥ आचमनमस्तु गंधमस्तु पुष्पमस्तु अक्षत मस्तु फलमस्तु धुपोस्तु दीपोस्तु ॥" ऐसें पढके क्रमसें जल, गंध, पुष्प, अक्षत, फल, धूप, दीपसें ग्रहोंका पूजन करे. ॥ पीजे अंजलिमें फूल लेके। ___ “॥ ॐ सूर्यसोमांगारकबुधगुरुशुक्रशनैश्चरराहुके तुमुखाग्रहाःसुपूजिताः संतु, सानुग्रहाः संतुं, तुष्टिदा संतु, पुष्टिदाः संतु, मांगल्यदाः संतु, महोत्सवदाः संतु ॥” ऐसें कहके ग्रहोंके ऊपर पुष्पारोपण करे. ॥ फिर इसी रीतिकरके। ___“॥ ॐ शानियमनिईतिवरुणवायुकुबेरेशानना गब्रह्मणो लोकपालाः सविनायकाः सक्षेत्रपालाः श्ह जिनपादाग्रे समागळंतु पूजा प्रतिबंतु॥" ऐसे कदके पूजापट्टो परि लोकपालोंको वासदेप करे. ॥ पीने ॥ * “॥ श्राचामनमस्तु गंधमस्तु पुष्पमस्तु श्रदत मस्तु फलमस्तु धुपोस्तु दीपोस्तु ॥” ऐसें पढके