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प्रथमपरिछेद. त एक चैत्ये जाण ॥ शो कोम वावन कोमस नाल, लाख चोराणुं सहस चौंाल ॥६॥सा तशें नपर साठ विशाल, सवि बिंब प्रणमु त्रण काल ॥ सात कोमि ने बोहोतेर लाख ॥ जुवनपतिमां देवल नांख ॥७॥ एकशो एं शी बिंब प्रमाण, एक एक चैत्ये संख्या जाण ॥ तेरशे कोम नेव्याशी कोम, साठ लाख वंदूं कर जोमि ॥७॥ बत्रीशे ने उंगणसाठ, ति बलोकमां चैत्यनो पाठ॥त्रण लाख एकाएं हजार, त्रणशे वीश ते बिंब जुहार ॥ ए॥ व्यंतर जोतिषिमा वली जेद शाश्वता जिनवर वंडं तेह ॥ रुषन चंजानन वारिखण, वर्द्धमान नामे गुणश्रेण ॥ १०॥ समेतशिखर वंदूं जि न वीश, अष्टापद वंडं चोवीश ॥ विमलाचल ने गढ गिरनार, आबु ऊपर जिनवर जुहारा ॥ ११ ॥ शंखेश्वर केशरियो सार, तारंगे श्री अजित जुहार॥अंतरीक वरकाणो पास, जीरा वलो ने थंनण पास॥१२॥गाम नगर पुर पा टण जेद, जिनवर चैत्य नमुं गुणगेद ॥ विदर मान वंडं जिन वीश, सि६ अनंत नमुं निशि