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जैनधर्मसिंधु ण देके श्ला० चैत्यवंदन करूं? श्वं कही जगचिंता मणीका चैत्यवंदन जयवियराय संपुर्ण पर्यंत करना. (स्तवन स्थान उव सग्गहरं कहेना.) पिढें खमास मण देके श्छा सजाय करूं ? श्वं कही एक नव कार गणी धम्मो मंगलमुकि सजाय कहेना खमा समण देके श्ला० मुहपति पमिलेहुँ ? श्वं कही मुहपत्ति पहिलेहणी. पिढें खमा श्वा पञ्चरकाण पारुं 'तहत्ति' कही जमणा हाथ उघा उपर स्थापन करके एक नवकार गुणके आंबिख पर्यंतके पच्चरकाण नीचे प्रमाणे कह करपारणा. __ “उग्गए सूरे नमुक्कार सहिअं पोरिसिं साढपो रसिं सूरेजग्गए पुरिमट्ठ मुठि सहिथं पच्चरकाण कीया चनविदार ॥ आंबील, नीवी, एकासणं पच्च काण किया तिविहार ॥ पञ्चरकाण फासिश्र, पालि अं सोहिअं, तीरिक्षं किदिअं, श्राराहि जं च न आराहियं तस्स मिठामि मुक्कम. ॥
इस्में जो पच्चरकाण कीया होय उहांतक बोलनां श्रागेकेपाठ न बोलवा. तिविहार उपवासवालो ने नीचे प्रमाणे कहेना. __“सूरे जग्गए पच्चरकाण किया तिविहार; पाण हार पोरिसि साढपोरिसि पुरिमट्ठ मुह सहिथं पच्चरकाण किया पाणहार; पच्चरकाण फासिअंगपूर्ववत् ए प्रमाणे पच्चरकाण पार्या पिजे नीचे प्रमाणे ॥१७॥