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हितीयपरिछेद.
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पूजा पढावें. ज्ञान पूजा गुरू पूजा करे. एसें चारवर्ष पर्यंत करे. उद्यापनमे त्रिपक्षिणी करके देव आगे ढोकना. यथाशक्ती महोत्सव करना ।। ___चांडायण तप॥ चंडमाजेसे सुक्लपक्षमे एकमके दिनसे बढता है तेसे पमवाके दिन एक कवल, उजके दिन दो कवल, तीजके दिन तीन कवल, चोथके दिन चार कवल एसे एकैक कवल पुनमतक बढावे. पुनमके दिन पनरे कवल श्राहार करे. कृष्णपदके चंउमाकी रीतिसे एके क कवल घटाते यावत् अमावास्याकों एककवल आहार करे एसें यवमध्य प्रतिमां तपत्नी इस्को कहतें है. यह चांडायण, यवमध्य तप एक मासकाहे. उद्यापनमें चांदीका चंग और सोनाके बत्तीस यव बनाके मंदिरमे चढावे और ज्ञान पुजा गुरू पूजा संघ पूजाकरे । अष्टप्रकारी पूजा पढावे.