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जैनधर्मसिंधु.
कने विषे जे कोई दोषलागो होय ते सविमन वचनकायायें करी तस्स मिचामि एक्कम ए पाठ कदी, माबो ढींचण उंचो करी नमुथुणं कदेवं, पढी नवकार गणी स्तवन कदेवु. तेवार पबी क र्मय निमित्त करेमि कास्सग्गं न एम क दीने चार लोगस्सनो कानसग्ग करवो पारी प्रगट लोगस्स कढ़ी पी नवकार गणीने सझाय कहे वी. पी नंदि कदेव । ॥ इति देवसीप्र०
॥ चप्रथ राइ प्रतिक्रमणविधि ॥ प्रथम गुरु पासे आज्ञा मागी सामायिक क वो पी नवकार गणी राइ कर्मक्षय निमिते करेमि का स्सग्गं कही वे लोगस्सनो काउस्स ग्ग पारी, प्रगट लोगस्स कही नीचे बेसी नवका र कदी, चव्वीसो कहिये, पटी वांदणां तथा खामणां लीजे, पबी उमा थइने राइ पायवित्त विशोधनार्थं करेमि काजस्सग्गं कही, एक नवका रगणी, करे मिते, इच्छामि हामि काजस्सग्गं जोमे राइ रो कर्ज इत्यादिक कही, तरसउत्तनो पाठ कदेवो. पी चार लोगस्स नो का सग्ग करी प्रगट लोगस्स कही पबी