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'प्रथमपरिबेद.
॥ चाकारेण सदस्सद जगवन् सामायिकता वाण नवकार गणुजी एम कही नीचा वैसी तीन नवकार की उना थई इबा० न० जीवराशी खमानं पबे सात लाख कही प्रढार पाप स्थानक यालोवे पबी इवा० ज० गुरु स्थापनाक रुंजी एम कही पर्चेदिय कदै इति (प्र यम) खमासमण ॥ खमासमण पूर्वक नीचे वैसी ने श्वा० ज० इव्य, क्षेत्र काल नाव धारुंजी १
॥ अथ व्य देत्र काल नाव ॥
॥ द्रव्य थकी लूगमां, लत्ता, घरेणां, गांवां पा रणुंनो करवाली, धारया प्रमाणें मोकलां बे. क्षेत्र थकी उपाशराना बारणानी मांदेली कोरें काल थकी समायिक, निपजे, तिहांसुधी, नावयकी यथा शक्तिने राग द्वेषें रहित व्रतीसंघातें बोलकं गुर्वादिक संघातें बोलवानो आगार बे. व्रती संघातें बोलवानुं पच्चरका बे. ए रीतेंबे कोटियें करी सामायिक करूं. सामायिक व्रत उच्चार करवा (एक) नवकारनो का सग्गकरुं जी. एम कही उजा थइने एक नवकार गणयें. ॥ पबी इछाकारेण संदिसद भगवन् ! सामायिक व्रत उच्चार करावो
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