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प्रथमपरिछेद. ला तीर्थानें याद करै पबै पच्चरकाण करै पछै श्वामो अणुसहिं (इसोपद कहै,) पछै नमोख मा समणाणं नमोऽर्दत् सिक्षाचार्योपाध्याय सर्व सा धुन्यः पबै संसारदावा (अथवा) परसमय तिमिरतरणं तीनगाथा कदै नमोनुणं अरि हंतचे ईयाणं करेमिकानसग्गं वंदण। अन्न तू०१ नवकारनो कानसरकरे पबै थरी १ गाथा कहै प लोगस्स कही वंदण अन्नब १ नवकारनो कानसग्ग पबै थूरीजी गाथा कहै पबै पुष्करवरदी वढेण्वंदणअन्नब०१न वकारनो कानसग्ग थुई तीजी गाथा कहै पर सिचाणं वुशाणं कदै पछै १ नवकारनोकानस ग करी पवै थरी चौथी गाथा कदै पछै श्री आचार्यजी मिअर श्रीनपाध्यायजी मिश्र० स र्वसाधूवांउं॥ इतिराई प्रतिक्रमण॥पबै श्रीसीमं धर चैत्पवंदन करवो पढ़ सिझगिरीनौचैत्पवंद न करी सामायकपारवा ॥ ॥ दवे पाखी पडिक्कमणो लि॥ तिहां प्रथम वं दिन सूत्र पर्यंत देवसी पमिकमी पडेश्वाकारेण संदिस्सह जगवन देवसियं आलोईयं पडिकंतं