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प्रथमपरिछेद. सहसत्तिसरंति हुँतिनरनासिअ गुरुदर, मदवि जविसऊसपास नय पंजरकुंजर॥१०॥ पई पासविविअसंतनित्तपत्तंतपवित्तिय, वाहपवाद पवूढरूढ उहदाहसुपुलश्य ॥ ममहिमस्मसनम पुरमअप्पाणं सुरनर,श्यतिहुश्रण आणंदचंदज य पास जिणेसर॥११॥तुद कल्लाणमदेसुघंट टंकारव पिल्लित्र, वल्लरमल्ल महवनत्ति सुरवर गंजुद्धि॥ हलुप्फलिअ पवत्तयंति नवणेदि महूसव,श्य तिहुअण आणंदचंद जयपाससुद्ध नव ॥१२॥ निम्मल केवल किरणनियर विद् रिअ तमपदयर, दंसिअ सयलपयबसबविबरि अ पहानर॥ कलिकलुसिभ जण घूअलोयलो यणदअगोयर, तिमिर निरुहर पासनाह जुव पत्तय दिणयर॥२३॥ तुह समरणजलवरिससि त्त माणव मइ मेणि, अवरावरसुहमबबोद कं दलदल रेणिजाय फलनरत्नरिय दरिय छ हदाद अणोवम, श्यमश्मेश्णि वारिवाद दिसि पास मई मम ॥२४॥ कय अविकल कल्लाणव लिनबूरियज्दवणुं, दाविअसग्गपवग्गमग्ग उ ग्गगम वारj॥जयजंतुहजणएणतुलजंजणि