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________________ १२. जम्बुद्वीप प्रज्ञप्तिसूत्र - बीजक (सूची) १३. हीर प्रश्नोत्तर (बीजक) १४. चन्द्रिका - धातुपाठ तरंग पद्यबद्ध १५. ध्रष्ट चौपाई १६. कल्याणमन्दिर स्तोत्र प्रक्रियावृत्ति १७. स्वरोदयज्ञान यंत्रावली आचार्यश्री ने जैन दर्शन और विश्व की जो साहित्य सेवा की है वह सदेव चिरस्मरणीय रहेगी। उनके मानस में यह वात घर कर गई थी कि जैन संस्कृति सुसाहित्य द्वारा ही जीवित रह सकती है और उन्होंने अपना जीवन इस दिशा में मोड दिया और उन्हें आशातीत सफलता प्राप्त हुई। यहाँ के जैन और जैनेतर की तो बात ही क्या विदेशी विद्वान भी उनके इस सत्प्रयास की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए नहीं अघाते। विजयलक्ष्मी पारवाल 'सृष्टि' ४, रामवाग, क्लक्टारेट एरिया, रतलाम (म.प्र.) ४५७ ००१. फोनः ०७४१२-२३००४९ श्रीमद् राजेन्द्रसूरिः अक महान विभूति की ज्ञान अवं तपः साधना + ४२७
SR No.023318
Book TitleJain Sahityana Akshar Aradhako
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMalti Shah
PublisherVirtattva Prakashak Mandal
Publication Year2016
Total Pages642
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size15 MB
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