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________________ પૂજ્યપાદ ગચ્છાધિપતિશ્રીનો અનુજ્ઞાપત્ર नि तीर्थ ९५५२मात्मा सर्वोत्कृष्ट ५०६ ९गळी खा देश-देखो समझ ध्या पूर्वे शासन- मोजमार्ग स्थापना अपनानधन खाया नेधाद नेनेनिन उहेबाद तेयो ने धर्मस्थापे तेने नैतधत उद्देशाद- तेघामने स्वतझरणार आराधनार माननार ने नैन ईबाद साया प्रदृष्टन्द यने शक्ति शाजी धनार परमात्मा नैनधर्मण आप अदमनो साझयो छे सेअवश्य साथमा जाइ‌क्शासम धापे समनु शासन ने स्थाझदेछे नेमांमदम स्वाभरणारा संयम नार नेमना मुख्य शिवस्यो अनुपादियो जननार साउ संख्यामां नादन होय छे तेमने गएराझर उद्देवाद पहन इत्सान्तरे ते सर्जरी काय परंतु रोमने प्रभुना आशिषहिधा सदस्प्रे लावभा खेदनुज्ञान दानिसयि पुन्य तरत प्रगढ़ ाद छेक जलको रोमने पा सला मानवा प्रराळा गावा के महापुरूषो 'सर्वज्ञ‌वास्त चित्र अने सर्वी कहोदा छ वा वास्ता अपना जने अंहुमे श्री तीर्थ फेर लगवान श्री गडावर लगवान कई वादो ধ ताधकर लगवान रोड गणे दार-त भगवान आने करत होममी 205 काय परंतु सा लगदानना सावाप्र‌लाव पूल्द शाजी गएरधर शिक्षक स६९द्ध जनो धाद-जघा गुरुलाओ अनेप्रायः समान शक्ति पाया परमात्मा समवेदालासना होय छे श्री परमात्माना हाधे रोमना to शिवाय या गसार लगो 4 Gym देता वधता परमात्माददान्य ज्ञान पत्mने या शासन प्ररूपधे रुने योग्य शिष्योने शासन बहन ईई‌का संभावना स्थापछे स्थापना पूर्वी परमात्मा योग्य १४९योने संतियां संमना मझना उतररूपे संजितमा किपटिनु ज्ञान आपछे रुने सेशताब्दी पोताने मर्जेस ज्ञानका अवधी प्रभुना प्रलाप खेने पुन्यथा शासन मादेना सजअ डाटना मार्गो उपायों विघानो हात्दो पोरे सुचादर रूपे रयेो नियत रोते मां प्रभुने नवाज आपले संक्रिया अशा रूपेो अने गराइरहेको सूत्र रूपे जार अंगश्ये छे रुने सेनो अर्थ विस्तारखे हुआ दिया जाई तर लगान
SR No.023302
Book TitleJivannu Amrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavyasundarvijay, Sanyambodhivijay
PublisherJainam Parivar
Publication Year2014
Total Pages54
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size29 MB
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