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जैन कौम आभारी ॥ ( दौड़ ) मुनि ज्ञानसुन्दर मन भाया । जिसके गुणका पार न पाया। नगर पीपाड़ से आया। यात्रा कर ताँ सुख सवाया २ । संवत् गुणीसे है सार । साल तैयासी मझार | वसंतपंचमी सुखकार । पूजा से पावोगें भवपार २ || ( मिलत) खजवाना का वासी ' छोगमल ' महात्मा पद को ध्यावेगा | ज्ञानी० || ४ ||
पुस्तक महात्म्य ।
ज्ञान प्राप्ति का खास साधन पुस्तक है । स्कूलों से तो सिर्फ विद्यार्थी वह भी टाइम सर ही लाभ उठा सकते हैं परन्तु पुस्तकों द्वारा आप हमेशा ज्ञान सीख सकते हैं चाहें आप व्यापारी, अहलकार या कारीगर हों, चाहें आप जवान या बूढे हों । पुस्तकें हमारी गुरु हैं जो हमें विना मारे पीटे ज्ञान देती हैं । पुस्तकें कटु वाक्य नहीं कहतीं और न क्रोध करती हैं । ये माहवारी तनख्वाह भी नहीं मांगती । आप इनसे रात दिन घर बहार जहाँ और जब इच्छा हो काम लो ये कभी नहीं सोतीं । ज्ञान देने से इन्कार करना तो ये जानती ही नहीं । इनसे कुछ पूछो तो ये कुछ भी छिपाती नहीं । वार वार पूछो तो ये उकताती या झुलाती नहीं । अगर आप इनकी बात एक वार ही में नहीं समझ सकते तो ये हंसती नहीं । ज्ञान की भण्डार पुस्तकें सब धनों में बहुमूल्य है । अगर आप सत्य, ज्ञान, विज्ञान, धर्म, इतिहास और आनन्द के सच्चे जिज्ञासु होना चाहते हैं तो पुस्तकों के प्रेमी बन प्रत्येक महीने में कुछ बचा कर पुस्तकें मंगाकर संग्रह करें। उत्तम पुस्तकें मंगाने का पता
जैन ऐतिहासिक ज्ञानभंडार, जोधपुर ।