SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 264
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ . ऐतिहासिक प्रमाण. २२० संग्रह भाग २ रा लेख नं ५५३ ) यह मूर्ति उपर्युक सिखसूरि की ही होने का अनुमान है। ककसरि वि. सं. १३८३ में उपर्युक्त नाभिनंदनोद्धार प्रबंध के रचयिता कक्कसूरिद्वारा प्रतिष्ठित जिन प्रतिमाएं: वि. सं १३७८ में प्रतिष्टा कराई हुई भादिनाथ की मूर्ति भर्बुदगिरि पर विमल वसही ' में विद्यमान है । ( देखो-जिनविजय० लेख० भाग २ रा लेख नं. ३१२) वि. सं. १३८० में प्रतिष्ठित देसलशाह के संतानवालों से कराया हुआ चतुर्विशतिपट्ट खंभात के श्री चिंतामणिजी पार्श्वनाथ भगवान् के मन्दिर में विद्यमान है। (देखो बुद्धि० ले० भाग २ रा लेख नं. ५३१) वि. सं. १३८० में प्रतिष्ठित शांतिनाथ विंब पेथापुर के पावन जिनालय में मौजूद है ( देखो बुद्धि० भाग २ रा लेख नं. ७११-७०६ पुनरावृत्ति है ) वि. सं. १३८७ में प्रतिष्ठित भनितनाथ बिंब बड़ौदे में जानीगली में चंद्रप्रभ जिनालय में है । ( बुद्धि० ले० भाग २ रा - नं. १४३) वि. सं. १९०० में प्रतिष्ठित देसलशाह के पुत्र सहजपाल की धर्मपत्नी नयणदेवी का कराया हुआ समवसरण खंभात,
SR No.023288
Book TitleSamar Sinh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1931
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy