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अतिधा।
इस प्रकार सानंद प्रविष्टा कर देसनशाह अपने सुयोग्य पुत्र पंचरत्नके साथ नृत्यमें निमग्न हो हाथ जोड़ भगवान्से विनय प्रार्थना करने लगे कि 'प्रभो ! फिर दर्शन देना' । युगादिदेवसे इस प्रकार निवेदन कर देसलशाह कपर्दियक्षके स्थानपर पाए । मोदक, नारियल और लपसीसे पूजा कर, यक्षके मन्दिर पर अनुपम पट्टयुक्त महा ध्वजा बांध-जिनपूजा-बद्ध कक्ष यक्षसे विनती की कि विघ्नों का विनाश करिये, सर्व धार्मिक कार्यों में सहायता दीजिये ।' पश्चात् देसलशाह भाचार्य श्री सिद्धसूरिके साथ पर्वत से नीचे उतरे ।