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________________ [ अवशिष्ट संख्या १] श्री उपकेशगच्छ चरित्रान्तर्गत आचार्यों की शुभनामावली. भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा । शुभदत्तगणधर हरिदत्ताचार्य-जिन्होंने वेदान्ती लोहित्याचार्य को जैन दीक्षा दे | महाराष्ट्र में महिंसा धर्म का प्रचार कराया । आर्यसमुद्राचार्य—जिन्होंने यज्ञ-हींसा को निर्मूल की। केशीश्रमणाचार्य-जिन्होंने प्रदेशी राजादि नास्तिकों को जैन धर्म I की दीक्षा दे अहिंसा का उपासक बनाया। स्वयंप्रभसूरि-जिन्होंने श्रीमालनगर व पद्मावती नगरी में राजा | प्रजा वगैरह लाखों मनुष्यों को मिथ्यात्व से छुड़ा कर जैनी बनाये । रत्नप्रभसूरि-जिन्होंने उपकेशपुर (मोशियाँ ) के राजा व I प्रजा को वाममार्गियों के-जाल से बचाकर जैनी बनाया। उसी समूह को एकत्र कर "महाजन वंश" की स्थापना की। उपकेशपुर तथा कोरटपुर में
SR No.023288
Book TitleSamar Sinh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1931
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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