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________________ १४. कथा साहित्य ऐतिहासिक और काल्पनिक कथा के द्वारा विशेष प्रेरणा कथाग्रंथ देते हैं। श्वेतांबर परंपरा में श्री संघदासजी म., श्री हरिभद्रसूरिजी म., श्री उद्योतनसूरिजी म., श्री धनेश्वरसूरिजी म., श्रीसिद्धर्षि, श्री नेमिचंद्रसूरिजी म., श्री देवभद्रसूरिजी म. आदि ग्रंथकारों ने कथा साहित्य की रचना की है। दिगंबर परंपरा में श्री हरिसेन, श्री पुष्पदंत आदि अनेक ग्रंथकारों ने कथा साहित्य की रचना की है। अर्वाचीन ग्रंथकारों कथा साहित्य की रचना की है श्वेतांबर परंपरा १. श्री मुक्तिविमलजी म. पोषदशमीमाहात्म्यकथा २. श्री अजितसागरसूरिजी म. भीमसेननृपचरित्रम् ३. श्री तिलकविजयजी म. मानतुंगमानवतीचरितम् ४. श्री जिनजयसागरसूरिजी म. जिनकृपाचंद्रसूरीश्वरचरितम् ५. श्री लब्धिसूरिजी म. १. मेरुत्रयोदशी कथा ६. श्री कस्तूरसूरिजी म. १. उसहणाहचरियं (प्राकृत) ३. पाई अविन्नाणकहा (प्राकृत) ७. श्री धर्मधुरंधरसूरिजी म. १. रूपसेनचरित्रम् २. शुकराज - कथा २. सिरिचंदरायचरियं (प्राकृत) २. रणसिंहचरित्रम् ४. वीरबलविनोदद्वात्रिंशिका ३. श्रीपाल चरित्रम् ८. श्री भुवनचंद्रजी म. ९. श्री राजरत्नसूरिजी म. १०. श्री कल्याणकीर्तिविजयजी म. सामरविहंगम: (अनुवाद) कथाकल्पवल्ली हेमचंद्राचार्यः
SR No.023271
Book TitleSanskrit Bhasha Ke Adhunik Jain Granthkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevardhi Jain
PublisherChaukhambha Prakashan
Publication Year2013
Total Pages68
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size5 MB
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