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५. आत्मानुशासन - टीका
३. मूलचन्द्र शास्त्री
१. षोडशकप्रकरण टीका
संस्कृत भाषा के आधुनिक जैन ग्रंथकार : १७
६. बारसाणुवेक्खा - टीका
२. हर्षसूरिप्रबंध - टीका
स्थानकवासी परंपरा
तेरापंथी परंपरा
संभवत: दोनों परंपरा में प्राचीन ग्रंथ रचना न होने से प्राचीन ग्रंथ की टीकाएँ भी नहीं हैं।
2 स.भा.आ. जै.ग.
(अर्वाचीन ग्रंथकारों के द्वारा लिखी हुई टीकाओं की संख्या ४७ के आस-पास है। प्रकरण ग्रंथों के हिंदी - गुजराती - अंग्रेजी आदि भाषा में अनुवाद एवं विवेचन अनेक विद्वानों ने किए हैं।)