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________________ १२८ जैन कथा कोष ले तथा पारणे के दिन (व्रत खोलने के दिन) एक मुट्ठी उड़दों के बाकुलों का भोजन करे तो तेजोलेश्या प्राप्त की जा सकती है। गोशालक दुस्साहसी तो था ही, लग गया तेजोलेश्या की साधना में। छ: महीने की साधना करके तेजोलेश्या प्राप्त कर ली। ___ गोशालक छः वर्ष तक भगवान महावीर के साथ रहा, फिर उनसे पृथक् हो गया। उधर भगवान् 'पार्श्वनाथ' के छः साधु उसमें आ मिले। उनके संसर्ग से वह अष्टांग निमित्त का विशेषज्ञ हो गया। लोगों को हानि-लाभ, सुख-दुःख आदि की भविष्यवाणियाँ करने लगा। लोगों में अच्छा प्रभाव बढ़ गया । अब वह अपने आपको तीर्थंकर बताने लगा। भगवान् महावीर को असर्वज्ञ, अल्पज्ञ बताकर अपने आपको सर्वज्ञ की भाँति पुजवाने लगा। एक बार 'सावत्थी' नगरी में भगवान् महावीर के पास समावसरण में आया। वहाँ ऊलजलूल बातें करते देखकर सुनक्षत्र और सुर्वानुभूति मुनि ने उसे टोका। गोशालक ने कुपित होकर उन पर तेजोलेश्या का प्रयोग किया तथा दोनों सन्तों को भस्म कर दिया। प्रभु को भी तेजोलेश्या का प्रयोग करके भस्म करना चाहा, पर अनन्तबली प्रभु के शरीर में वह प्रविष्ट न हो सकी। लौटकर सारी तेजोलेश्या गोशालक के ही शरीर में प्रविष्ट हो गई। उसका सारा शरीर जलने लगा तो। अंट-संट बोलता हुआ, प्रभु से बोला-'आज के सातवें दिन तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी।' प्रभु ने कहा—'मैं तो अभी सोलह वर्ष तक पृथ्वी पर विचरूंगा। हाँ, तेरा आयुष्य अवश्य सात दिन का है।' तेजोलेश्या के योग से गोशालक के शरीर में भयंकर गर्मी बढ़ गई। अन्तिम समय में जब मौत दीखने लगी, तब अपने श्रावकों के सामने अपनी आत्म-निन्दा करते हुए कहा—“मैं असत्यभाषी हूँ, दो सन्तों का संहारक हूँ, धर्मगुरु के साथ मिथ्याप्रवृत्ति करने वाला हूँ। मेरे मरने के बाद मेरे पैर में रस्सी बाँधकर 'सावत्थी' नगरी में मुझे घसीटना । मेरे सारे कुकृत्यों को सबके सामने प्रकट कर देना।" यों कहकर मृत्यु को प्राप्त कर बारहवें स्वर्ग में उत्पन्न हुआ। अन्तिम समय में की हुई आत्मालोचना का सुफल हाथोंहाथ पा लिया। __पीछे से श्रावकों ने मकान के भीतर ही 'सावत्थी' का नक्शा बनाकर गोशालक के कहे अनुसार सारी विधि आचरित की। किन्तु प्रकट रूप में खूब ही धूमधाम से दाह-क्रिया का कार्य सम्पन्न किया। -भगवती सूत्र, शतक १५
SR No.023270
Book TitleJain Katha Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChatramalla Muni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh prakashan
Publication Year2010
Total Pages414
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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