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________________ १२४ जैन कथा कोष इधर धधकते अंगारों में मुनिवर का सिर और शरीर जल रहा है, उधर सोमिल का क्रोध बढ़ रहा है । मुनिश्री अपनी समत्व की साधना में क्षपक श्रेणी चढ़कर केवलज्ञान प्राप्त करके मोक्ष में जा विराजे । माता का दिया हुआ आशीर्वाद पूर्णतः साकार कर दिया । प्रात:काल श्रीकृष्ण भगवान के दर्शन करने आये । वहाँ गजसुकुमार नजर न आये। प्रभु से पूछने से पता लगा, वह तो जिस कार्य हेतु उद्यत हुआ था वह उसने प्राप्त कर लिया। अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लिया । अपने छोटे भाई मुनि गजसुकुमार की मृत्यु का समाचार सुनकर श्रीकृष्ण स्तब्ध रह गये। व्यथित हृदय मृत्यु का कारण जानना चाहा । प्रभु ने भेद खोलते हुए कहा-' " जैसे तुम अभी यहाँ आ रहे थे । मार्ग में उस बूढ़े की ईंटों का ढेर इधर से उधर करने में जैसे सहयोग बने अर्थात् तुम्हारे एक ईंट के इधर से उधर रखने में सारी सेना ने तुम्हारा अनुकरण किया, वह सारा ढेर कुछ ही क्षणों में इधर का उधर हो गया । वह बूढ़ा तुम्हारे इस सहयोग को कब भूलेगा? ठीक वैसे ही गज मुनि को भी एक सहयोगी मिल गया था, जिससे दीर्घकाल में प्राप्त करने वाली सिद्धि इसने सहज में शीघ्र प्राप्त कर ली । " यह सारा दु:खद संवाद सुनकर श्रीकृष्ण कुपित, व्यथित और श्लथित हो उठे। बात को आगे बढ़ाते हुए पूछा- 'प्रभो ! मैं उस पुरुष को कैसे पहचानूँगा?' प्रभु ने कहा – 'तुम्हारे यहाँ से लौटते समय पथ में जो तुम्हें देखकर भयभीत होकर मूर्च्छित हो जाये, समझ लेना यह वही व्यक्ति है । ' प्रभु को नमस्कार कर, निःश्वास फेंकते हुए श्रीकृष्ण वहाँ से चले | मन में आया - जब मेरे सहोदर की यों अपमृत्यु हो गई, तब मुझे राजमार्ग से जाना शोभा नहीं देगा। अतः अन्य रास्ते से जाने लगा । उधर सोमिल ने भी सोचा कि श्रीकृष्ण प्रभु के दर्शनार्थ जायेंगे। वहाँ मेरे काले कारनामों का भंडाफोड़ अवश्य होगा । फिर श्रीकृष्ण मेरे गुनाह को कब माफ करेंगे? अत: अच्छा होगा मैं इस पुर का परित्याग करके कहीं अन्यत्र चला जाऊँ, ताकि बच जाऊँ । यों विचार कर कहीं जाने लगा। रास्ते में श्रीकृष्ण सामने से आते हुए दिखाई दिये । सोमिल श्रीकृष्ण को देखते ही भयभीत हो उठा और सहसा मूर्च्छित होकर भूमि पर गिर गया। भय से उसके प्राण-पखेरू उड़ गये ।
SR No.023270
Book TitleJain Katha Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChatramalla Muni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh prakashan
Publication Year2010
Total Pages414
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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