________________
श्री अजय जैन
(8 अक्टूबर 1970.....25 सितंबर 1998 )
यह पुस्तक उस महान आत्मा को समर्पित है, जिसने आंशिक विकलांगता होते हुए भी अल्पायु में ही गिरनार, शत्रुन्जय, पावागढ़, गजपंथा चूलगिरि, बड़वानी, चूलगिरि (जयपुर), मंदारगिरि जैसे दुरुह ( कठिन चढ़ाई वाले) तीर्थ क्षेत्रों की पैदल चलकर भाव पूर्वक श्रद्धा सहित वंदना की। जिसका मन हमेशा तीर्थ क्षेत्रों की वंदना हेतु उत्साहित रहता था व जिसने देश के प्रमुख पचास से अधिक जैन तीर्थों की वंदना की; जिनमें श्री सम्मेद शिखरजी, राजगृही, कुंडलपुर, पावापुर, चंपापुर, माउन्ट आबू, केशरियाजी, तारंगाहिल, महावीर जी, पदमपुरी जी आदि के साथ बुंदेलखंड व राजस्थान के अधिकांश क्षेत्र समाहित हैं ।
प्रकाश चन्द्र - राजकुमारी जैन
(बामौन कलों वाले) हाल - नूतन बिहार कॉलोनी टीकमगढ़ (म. प्र. )
मध्य-भारत के जैन तीर्थ 7
·