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जिनमें से चौबीस वेदिकाओं पर चौबीस तीर्थंकर प्रतिमायें विराजमान है। अंतिम वेदिका पर जंबूस्वामी की प्रतिमा को प्रतिष्ठापित किया गया है। इस चौबीसी में विराजमान तीर्थंकर प्रतिमाओं के रंग शास्त्रों में वर्णित रंगों से मेल खाते हैं। सभी प्रतिमायें समान आकार की 2 फीट ऊँची पद्मासन मुद्रा में आसीन है।
_11. बड़ी प्रतिमा- मुख्य जिनालय के पीछे एक सुंदर बगीचे में खुले आसमान के नीचे एक बड़ी एवं ऊँची जगती पर जंबूस्वामी की निर्वाण स्थली पर भगवान श्री जंबूस्वामी की एक विशाल पद्मासन प्रतिमा विराजमान हैं। यह प्रतिमा लगभग 30 फीट ऊँचाई वाली भव्य, आकर्षक व मनोज्ञ है। यहाँ यात्रियों को असीम शान्ति मिलती है। ___12. चैत्यालय जिनालय- जंबूस्वामी क्षेत्र परिसर से हटकर एक जैन वोर्डिंग हाउस में एक मनोज्ञ चैत्यालय स्थित है। इस चैत्यालय में एक दर्जन से अधिक जिन-प्रतिमायें विराजमान हैं । यह चैत्यालय परिसर से लगभग 200 मीटर की दूरी पर स्थित है।
__ जंबूस्वामी निर्वाण क्षेत्र का परिसर काफी विशाल है। इसमें कार्यालय, यात्रीनिवास, मुनिजन निवास, भोजनशाला, बाग-बगीचे, पाठशाला आदि स्थित हैं। शादी ब्याह के लिये भी परिसर का उपयोग होता रहता है। यह क्षेत्र रेल्वे स्टेशन/बस स्टेशन से लगभग 2.5 किलोमीटर दूर है।
196 - मध्य-भारत के जैन तीर्थ