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________________ मुगल नवाब फैजुद्दीन से निवेदन किया कि जहांपनाह इस स्थान पर आदि युगावतार भगवान ऋषभनाथ जी का जन्म स्थान था, अतः इसके नीचे आदिनाथ भगवान के जन्म स्थान का स्मारक होना चाहिये। नवाब ने दीवान से इसका प्रमाण मांगा। तब उन्होंने कहा अमुक स्थान पर खुदाई करने से घी का एक चौमुखी दीपक, एक साथिया व एक नारियल रखा मिलेगा। नवाब के आदेश से खुदाई करवाने पर वहाँ पर ये सब चीजें रखी मिलीं। तब नवाब ने वहाँ भगवान आदिनाथ जी का मंदिर बनवाने का हुक्म दिया व शेष मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया। वर्षों पूर्व इस महान तीर्थ-क्षेत्र की सोचनीय दशा को देखकर आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज ने इस तीर्थ-क्षेत्र के उद्धार का संकल्प लिया व अयोध्या के रायगंज में 31 फीट ऊँची भगवान आदिनाथ की कायोत्सर्ग मुद्रा में स्थित प्रतिमा की स्थापना करवाई। जिसमें दिल्ली निवासी सेठ पारसदास व साहू शान्तिप्रसाद ने पर्याप्त आर्थिक सहयोग दिया। . यहाँ का वार्षिक मेला भगवान ऋषभदेव की जन्म जयन्ती चैत्र वदी नवमी के दिन बड़ी धूमधाम से संपन्न होता है। यहाँ स्थित जन्मभूमियों व जिनालयों का विवरण इस प्रकार है 1. भगवान ऋषभनाथ जन्मभूमि- भगवान ऋषभनाथ का यह जन्मस्थान बड़ी मूर्ति से लगभग 1 किलोमीटर दूर है। कभी यहां से सरयू नदी बहा करती थी। यहाँ वर्तमान में एक नवनिर्मित जिनालय स्थित है। जो प्रथम तल पर स्थित है। इस जिनालय में भगवान ऋषभदेव की लगभग 4 फीट ऊँची प्रतिमा विराजमान हैं। संगमरमर निर्मित यह श्वेत वर्ण की प्रतिमा के दर्शन करने से श्रद्धालुओं के मन को असीम शान्ति मिलती है। इसी तल पर भगवान के चरणों सहित एक छत्री का निर्माण किया गया है। यह जन्मभूमि तुलसीनगर में स्थित है। 2. चरण छत्री श्री अजितनाथ- भगवान ऋषभनाथ की जन्मभूमि से भगवान अजितनाथ की जन्मभूमि की दूरी लगभग 100 कदम होगी। सड़क से 40-50 फीट हटकर वृक्षावल्लरियों से घिरे एक परकोटे में भगवान अजितनाथ के जन्मस्थान पर एक छत्री में चरणचिन बने हुये हैं। दर्शनार्थी इस छत्री स्थित चरण-चिह्नों के दर्शन कर अपने को धन्य मानते हैं। यह चरण-चिह्न छत्री वक्सारिया टोला मुहल्ला में तुलसीनगर में स्थित है। 3. चरण छत्री श्री अभिनंदन नाथ- यह चरण छत्री बड़ी मूर्ति जिनालय से लगभग 1.5 किलोमीटर की दूरी पर बस्ती के मध्य में स्थित है। यहाँ भी एक परकोटे के अंदर स्थित छत्री में भगवान श्री अभिनंदन नाथ के चरण-चिह्न विराजमान हैं। श्रद्धालु भावविभोर होकर यहाँ के दर्शन कर अपने को पुण्यशाली मानते हैं। यह चरण छत्री एक टीले की ओर जाने वाली सड़क के किनारे किन्तु मुख्य सड़क से कुछ हटकर है। यह चरण छत्री पानी की टंकी के पास अशर्फी भवन चौराहा, सुरहटी मुहल्ला में स्थित है। 4. भगवान सुमतिनाथ जिनालय एवं चरण छत्री- यह भव्य जिनालय चरण 176 - मध्य-भारत के जैन तीर्थ
SR No.023262
Book TitleMadhya Bharat Ke Jain Tirth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrakashchandra Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year2012
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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