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________________ ने ऋषभदेव, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीर स्वामी की प्रतिमाओं तथा नंदीश्वर तीर्थपट्ट की प्रतिष्ठा करवाई। इसी प्रतिष्ठा की भगवान् ऋषभ की दो प्रतिमाएँ घोघा के जैन मन्दिर में विद्यमान हैं। जिनके अभिलेख घोघाना अप्रकट जैन प्रतिमा लेखो, निबन्धान्तर्गत महावीर जैन विद्यालय, बम्बई के स्वर्ण जयन्ती-महोत्सव ग्रन्थ में प्रकाशित है। _ सं० १३०६, ज्येष्ठ शुक्ला १३ के दिन श्रीमालनगर में जिनेश्वरसरि ने कुन्थुनाथ और अरनाथ की मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा की। श्रेष्ठि धीधार के निवेदन पर दुबारा ध्वजारोपण किया। सं० १३०६ मार्गशीर्ष शुक्ला १२ को जिनेश्वरसरि ने समाधिशेखर, गुणशेखर, देवशेखर, साधुभक्त वीरवल्लभ और मुक्तिसुन्दरी को दीक्षा दी और उसी वर्ष माघ शुक्ला १० को शान्तिनाथ, अजित. नाथ, धर्मनाथ, वासुपूज्य, मुनिसुव्रत, सीमन्धर स्वामी, पद्मप्रभ प्रभृति तीर्थ कर प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा करवाई। जिसमें श्रेष्ठि विमलचन्द सा० हीरा आदि ने विशेष अर्थ व्यय किया। वि० सं० १३११ वैशाख शुक्ला ६ को प्रह लादनपुर में चन्द्रप्रभ स्वामी के विधिचैत्य में भीमपल्ली नगर के मन्दिर में स्थित महावीर की प्रतिमा की प्रतिष्ठा श्रेष्ठि भुवनपाल ने अपने निजोपार्जित धन के व्यय से कराई। संघ समुदाय की ओर से ऋषभदेव स्वामी की, बोहित्य भावक की ओर से अनन्तनाथ स्वामी की, मोल्हाक नामक श्रावक द्वारा अभिनन्दन स्वामी की, आम्बा भ्राता भावसार केल्हण की ओर से बाहड़मेर के लिए नेमिनाथ स्वामी की, सेठ हरिपाल के लघु भाता श्रेष्ठि कुमारपाल की तरफ़ से जिनदत्तसूरि की प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा जिनेश्वरसूरि द्वारा करवाने के उल्लेख प्राप्त होते हैं। सं० १३११ में वैशाख शुक्ला ११ को जाबालीपुर (जालोर) में, जिनेश्वरसरि ने चारित्रवल्लभ, हेमपर्वत, अचलचित्त, लोभनिधि, मोदमन्दिर, गजकीर्ति, रत्नाकर, गतमोह, देवप्रमोद, वीरानन्द, २३२
SR No.023258
Book TitleKhartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherAkhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh
Publication Year1990
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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