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________________ : गोत्र - स्थापन के कतिपय सन्दर्भों को यहाँ आकलित किया जा रहा है । मण्डोवर के राजा नानुदे के पुत्र को सर्प ने दंश लिया । जिनदत्त के निर्देश से कुकड़ी गाय का नवनीत चोपड़ने के कारण निर्विष हुआ । कूकड़ चोपड़ा गोत्र का सम्बन्ध इसी घटना से है । मन्त्री गुणधर ने नवनीत चोपड़ा, अतः गुणधर का गोत्र 'गुणधर चौपड़ा' कहलाया । 'गांधी' गोत्र इसी की एक शाखा है । राजपुत्र सांडा से 'सांड' हुए। चीपड़ पुत्र से 'चीपड़ा' हुए । इसी प्रकार कोठारी, धूपिया, बूबकिया, जोगिया, बडेर, हाकिम, दोषी आदि गोत्र स्थापित हुए । जिनदत्तसूरि द्वारा स्थापित बाफणा गोत्र का प्राचीन नाम बहुफणा प्राप्त होता है । जीवन कुमार और सच्चू कुमार का जालोर - नरेश के साथ युद्ध हुआ । जिनदत्त के बहुफण पार्श्वनाथ के शत्रुंजयी मन्त्र के प्रभाव से जीवन और सच्चू विजयी हुए | जिनदत्त ने उनका गोत्र बहुफणा / बाफणा स्थापित किया । महाराज पृथ्वीराज के सेनापति जयपाल थे । जयपाल ने छह बार काबुल - बादशाह पर विजय पायी । युद्धस्थल में पीछे न हटने से जिनदत्त ने इनका गोत्र 'नाहटा' दिया । बाफणा-गोत्र से अनेक शाखाएँ अनुष्यूत हुई - रायजादा, भूआता, घोडबाड, मरोडीया, हुंडिया, जांगड़ा, थुल्ल, सोमलिया, समूलिया, बाहंतिया, वसाहा, मीठड़िया, धतूरिया, पटवा, बाघमार भाभू, नाहऊसरा, धांधल, नानगाणी, मकेलवाल, साहला, दसोरा, कलरोही, खोखा सोंनी, तोसालिया, भृंगरबाल, कोटेचा, संभूआता, कुचेरिया, जोटा, महाजनीया, डुगरेचा, मगदिया, कुबेरियाँ आदि । चंदेरी नगरी के राजकुमार जिनदत्तसूरि के अनुयायी थे । अम्बदेव द्वारा चोरों को पकड़कर उनके पैरों में बेड़ी डाल देने के कारण चोरवेड़िया कहलाया । सम्भवतः वर्तमान में प्रचलित जाति चौरड़िया इसी चोरवेड़िया का अपभ्रंश है। सोनी, पीपलिया, फलोदिया, १६३ १३
SR No.023258
Book TitleKhartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherAkhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh
Publication Year1990
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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