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(सिरि भूवलय
ज्ञग ‘गरिय छप्पिपच्छा' ॥१७८॥ ञगल पाहुडदञम् वञग ‘वक्खाणुउ सत्थ'
॥१७९॥ भोजगणदिञगित मन्त्रम् स्ञग ‘माइरियो, इदिर ॥१८०॥ जगज सम्षार मन्त्रम् सञज्इ ‘णाय, माइरिय,परम्प' ॥१८१॥ वञगुणिताक्षदग' विञगित 'रागयम्' वरद ॥१८२॥ रिञगुव' अजित मिन्त्राञग काञग ‘मणीणावहारि'
॥१८३॥ णञगुवनादि, अनन्त वञगि ‘य,पुवाइरिया' ।।१८४॥ सुञज्ञ, आसुज्ञरुद्धार भोञद ‘याराणुसरणम्'
॥१८५।। लञगण, जीव, धर्मान्ग गञग कुलाधि तिरयण' ॥१८६॥ होञगिद, सर्वत्म, भूत बञगद ‘हेउत् ति पुप्फ' ॥१८७॥ विज्ञगिद, सर्व भाषान्ग
जज ‘दन्ताइरियो' सो ॥१८८॥ हजगळिदिह दिव्य मन्त्र धागसु ‘मञगलादीणम्' ।।१८९।। जगिद शुद् धात्म रूप कञग ‘छण्णम् सकारणाणम्'
॥१९०॥ तञगळ हणणिमेयञग हाञगदली ‘परूवण'द
॥१९१। सञगातियोळगिह मन्त्र ऐञग ‘ट्टम् सुत्तमाह' दलि ॥१९२।। सञग मोवाञगशुद् धाञग यञग णमो, अरहनतआणम' ॥१९३।। २२०-२४३
जग णमो, सिद धआणम ॥१९४॥ तगलद अभव सिद्धियरु तेञ ‘णमो, त ईण इस आह ऊणम्॥१९५॥ म्उगिलोळु बरलागदवरु । सञग ‘णमो द ओण इध अम आणम् ।।१९६॥ भव्यर आश्रयरु सिञग’ ‘चत्तारिमञगम्' ॥१९७॥ यगणित वयभव युतवु वादि ‘सञगतभञगम्'
॥१९८॥ त्गल लागिदयदन्कवु 'इदि' को ॥१९९।। तगदेनलागदु जीवर्
॥२००॥ विगतदेहिगळ माडुवुदु ॥२२६॥ ॥२०१।। हगरणावळिवुदेनरिदे । ॥२२७॥ ॥२०२।। त् अगललक परदनक सिद्धि ॥२२८।। ॥२०३।। तगुवुदे अध् यात्म शुद्धि . ॥२२९।। ॥२०४॥ मइगिलाद नोट गोचरवु ॥२३०॥ ॥२०५।। दागुव समय पाहुडवु ॥२३॥ ॥२०६।। ऐगुण वुद्धियादन्त ॥२३२।। ॥२०७।। हगलु रारिगळिदिहुदु ॥२३३।। ॥२०८॥ म्अगळ सवन्दरियन् कमहिमे ॥२३४।। ॥२०९।। अगणीत बगेगळ भकुति ॥२३५।। ॥२१०।। पगेगळगेरुव प्रीति । ॥२३६॥ ॥२११।। पगेगळेल्लर हगेयळिगु ॥२३७।। ॥२१२।। णोगमद्रव्य जीवानक ॥२३८॥ ॥२१३।। सगुण वविध्य जिनाञग ॥२३९॥ ॥२१४॥ विगुर् वणियिन्द निर्मितवु ॥२४०।।
हगुरवल्लद सूक्ष्म स्थूल ॥२४१।। ॥२२०॥ वेगवळिदु वेगशालि
॥२४२॥ ॥२२१।। णगधरवाद भूवलय
॥२४३॥ ॥२२२॥ २५२- २६४ । ॥२२३॥ जसद कीर्तिय शुभदन्त्य ॥२५२।। ॥२२४॥ दिशेयग्र सिद् धान्त मन्त्र ॥२५३।। ॥२२५।। दासरेयतिशय भद्र ॥२५४॥
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