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( सिरि भूवलय
चक्र को नवमांक बंध में पढने का क्रम
- ON -
A B C D E F G H I 47 58 69 80 1 12 23 34 45 57 68 799 11 22 33 44 46 67 78 8 10 21 32 43 54
77 7 18 20 31 42 53 55 | 6 17 19 30 41 52 63 65 76 6 | 16 27 29 40 51 62 64_75 5
26 28 39 50 61 72 74 4 15 36 38 49 60 71 73 3 14 25
37 48 59 70 81 2 13 2435 • इस क्रम में चक्र को ९ आडी पक्तियों में और ९ ही लंबी पंक्तियों में उपचक्र की भांति
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९ भागों में विभक्त किया जाता है । इन ९ उपचक्रों को पढ़ने का अनुक्रम प्रत्येक अध्याय के लिए अलग-अलग होता है । उदाहरणस्वरूप द्वितीय अध्याय में इस नौ उपचक्रों को पढने का क्रम इस प्रकार है:
८७ • प्रत्येक उपचक्र में नौ आडी पक्तियाँ तथा नौ लंबी पंक्तियाँ हैं जिन्हें इस प्रकार से नामांकित
किया गया है
आडी पंक्तियाँ A, B, C, D, E, F, G H, I लंबी पंक्तियाँ 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, पढने का क्रम इस प्रकार है:- (E-1), 2.(F-9), 3.(G-8), 4.(H-7),......, 78.(B-3), 79.(C-2), 80.(D-1), 81.(C-27). इन स्थानों पर की संख्या को अक्षरों में परिवर्तित कर पढने पर श्लोक प्राप्त होंगें ।
परिकल्पना : पुस्तक शक्ति
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