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चक्र को चक्रबंध में पढने का क्रम – उदाहरण
Start
1923 1 16 128 28 1 165956 1 147 16 17 16 1 1 156 160
1535447 28 147 4528145941445 1 3047474542532851 152 1 1 31 22 130 2 1 25530 1 1454752 14 147 1 1 1 153152595
59302555513 16253601 1647 48 451656564345 156 1 1 13 5147451 1 223051 1 2 38304 1 1 5 1 1 16 15 15656 1 2 1 61525245 | 15548 1 52352855 1 3845305.47 1453845381 71 1 28 135555154 1 1 1 142 244 143 1647 7 1 134514 8/28347228135938 14340 1 52 595430 145 16 128 2350 143 43, 9/1245513015258485947
4
1 47 45475528145 1 13111 10/ 1534756 1 1 7 1 1 2 6048 1 1 16 ।।54152 1730544545 1595652 145 1552852 28 1 2 15254443604828 1 16 2385371
2153524323 24 1652451 242 1 1 147 30 284847 15452 16 13/455423284545 30 15915628254533822 1 285540605028
2 1347 1 14 1745 16 1 52 5651147-5555457251567 1 1 23.53 545948 13 56147231255 16 1 1 47 403161 0043 16/61643 1 1 47 1 1 14545143 2828 1 1 2 15230 144713
42 154 13 1 28 1 454254856 1 1 152547 1 25656243 1 1 185432456432 25 18485959116355348114620501 1947 45 1 245625514 167 13 30 16 1 1 52 52547 281 20 | 546065160 11 164038 17 14756 3355 1 19481511 । 21 152 16 160 1305330 147 1313281345595122545352 53 22115301 2 4756 1 28 16 1225951 1 1 1 2853601 1 16 16 1 158 23.35 152 2 1352383045113056 16 1 1 13040565454552845 2414747 1 2822 147 1 14546 1 14753552 1 1 143 2 1 1 143 25/ 1
1 4543 1655244754522 51 5 138 130 2 28 1362855 26. 1646 1 1 16 1 1 1 । 147 59483881 148 1 122 1 1 160 27523056535251305211654 158 130515651535657 60
End चक्र१ - सिरि भूवलय सिद्धांत के 'अ' विभाग के मंगल प्राभूत के प्रथम पँक्ति पढने का क्रम
27 p26 425 1-24 5-23 t-22 u-21 v-20 w-19_x-18 y-17 2-16 ष ट आ म अ ।
र आ त्
1 अ
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m-2
y-18
पर हूँ . यम 42-45-4 44.4g-4340 42.4848
*442
4244 4g 434
42-42., 43 4454
5-
7 k6k-7 1-6 m-5 -2 03 p2 41 -27 ट अ म अ ज इ न अ ग ए र अ 4-24 v-23 w-22 x-21 y-20 उ व ए न् उ उपरोक्त अक्षरों को मिलाकर पढने पर निम्न लिखित श्लोक प्राप्त होगा । अष्टमहाप्रातिहार्य वैभवदिन्दा अष्टगुणगळोळ ओम्दम् । सृष्टिगे मंगळपर्यायदिनित अष्टमजिनगेरगुवेनु।।
परिकल्पना : पुस्तक शक्ति 486