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________________ सिरि भूवलय कन्नडिगा भट्टाकळंक मुनि के “शब्दानुशासन" से सिरि भूवलय पढने में बहुत सहायता मिली । इन सभी साधनों की सहायता लेने पर भी सिरि भूवलय को पढ़ने में पूर्ण सहायता नहीं मिली। परन्तु यह ठीक न लगने पर भी इस प्रकार के ग्रंथों के अध्ययन के परिणाम से हम अपनी मर्जी से कुछ भी निर्णय ले सकने में समर्थ हुए। इन चक्रो के विषय में मेरा निर्णय इस प्रकार है । कन्नड भाषा में कुल ६४ ध्वनि है। दुनिया की समस्त संख्याएँ केवल नौ ही हैं। इनमें से १ गणित में न आने के कारण बाकि शेष २ से लेकर ९ तक ८ संख्याएँ गणितांक हैं । मूल गणितांक ८ का वर्ग ६४ ही है। “ सिरि भूवलय" मे गणित सम्मत ६४ संख्याएँ हैं। इन एक-एक संख्या को ध्वनि संकेत की भाति समझना है । इन ध्वनियों में स्वर, वर्गीय, अवर्गीय, योगवाह, इस प्रकार चार समूह हैं । इनमें स्वर-९, वर्गीय-२५, अवर्गीय-८, और योगवाह -४ रूप ६४ ध्वनियाँ स्वर अ, इ, उ, ऋ, ळ, ए, ऐ, ओ, औ, इस प्रकार ह्रस्व रूप । इसी प्रकार दीर्घ और प्लुत नाम के तीन रूप के साथ २७ स्वर जैसे १-अ, २-आ, ३-आ (आ अर्थात आ में ही आ की मात्रा) इसी प्रकार ४-इ, ५-ई, ६-ही, क्रमशः (ही अर्थात इ में ही ई की मात्रा) ७,८,९,- उ ऊ ऊ ,( कू अर्थात ऊ में ऊ की मात्रा) १०,११,१२,- ऋ, ऋ, ऋा, १३,१४,१५- ळ, लू ळू,* १६,१७,१८ - ए, ए, एा, (ए तथा एा अर्थात ए में ही क्रमशः १ बार ए की मात्रा तथा २ बार ए की मात्रा) १९,२०,२१- ऐ गे, गो, ([ तथा गा, अर्थात ऐ ही में क्रमशः १ बार ऐ की मात्रा तथा २ बार ऐ की मात्रा) -380
SR No.023254
Book TitleSiri Bhuvalay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSwarna Jyoti
PublisherPustak Shakti Prakashan
Publication Year2007
Total Pages504
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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