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(सिरि भूवलय
||१६९।। ॥१७१।।
इळियकळ्तले हर काव्य
॥१६७॥ बळिय सेरलु व्रत काव्य ॥१६८॥ गेलवेरिद व्रत काव्य
नलविन्ध यात्मद काव्य ॥१७०॥ सलुव दिगम्बर काव्य कर्नाटक मातिनिम्दलि बळेसिह । धर्म मूर्नूरर्वत्मूर म्* || निर्मलवेन्नुत बळिय सेरिप काव्य । निर्मल स्याद्वाद काव्य त्नगे बारद मातुगळनेल्ल कलिसुत । विनयदध्यात्मम् अ* चल।। घनदन्क गळुसाविरदिन्नूरतोम्बत्तु । एनलु अन्तरदलि बरुव तानल्लि हत्तूवरे साविररवत्ता । रानन्द वेरडम् वेरस् ह* अ । काणुवद् हदिनेन्टु साविरदोळनूर । काणद नलवत्नाल्कनक रोदनवेल्लव नळिसुव(ओडिप)सोहम् । आद् इ ओम्द् ओम्बत्तु बह अ*॥ साधिसि मूरुकाव्यवकूडिदक्मर । आदिजिनेन्दर भूवलयम्
॥१७२।। ॥१७३॥ ॥१७४॥ ।।२७५॥
३ने आ७२९०+अनतर १०५६६=१७८५६%२७%९ अथव अ-आ२८७५५+३ने आ १७८५६=४६६११=१८९
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