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________________ ते लीड्राकीतधणी ए|80|६हा। [तसमकी तकामपामी सानामवीचासनतपुदगलपावृत्तदली जाविक रीजेंससार ४१गलारामाचति एक नोडसं काय नऊपवासालमा झगलारामत्याः हीनया४३३ सावरास एक षडत्या हा कर टरकलपी कायद्याषा ऊपाली नाम पाल्पापम व्हाय४३॥ दिनाकाडाका डिड सि: पाल्पा माऊणीवारा: सारा रापम एकऊन सिरहा सिसही तारधारा४४॥ दमा काडाको डिमा गाहा (विसर्पणी काल : घट रातह मांसहीत समाजावृधवा लाधपाव (साकाडाकाडा सागर चली। जिन कहड्या:विज्ञाय दस पेणा सारिएकी श्र !!जायाश्रीजिनवर कद श्साललो! कालचक्र पक: घाय॥४७॥ नतकालयः लावतीहाय प्रदालनंतनागारद हा जीवि कधी साधा सासमा दिवली | साटास तरवड्याहि उपक्रमूलक र फरमाहा विदन कही त्या हिगल पावे विलीनी गवता काय काम नारा बालन से जीवावा हाराधाय: पाच पीजीवहारात्यरिधाया| बादानो कि ३ विव दमा हिंदी अंतरमरतत्याहा बच्चा जनमलषपाप पसाय | ५१ गारला के दस दीवा एकसर वससर्पलीन्याराधाय ४६.६ Я ० ने स्वननाजी वाघ कष्ट जिननेद निंक हा काय म्ह निकिचरननकाय माहीर हा श्री जाव श्री सायतीसही एक का साया मातीला न्याहा समकीत (नान ही लवः लिसा कामना जरी काय काल से कर मित्या हा धाचा घाया। घर त गवन सपती मागाया॥५४॥ जादसा हजारवरस त्या हा श्राय! लव संत्य तिर हि एक वाह घवी मां हिांगााया बावीस हजारवर सत्य विमादित्र णिदाटा जाय। वासुं कार्य मोहित हवाय ५४ सात हजार दरसल चाय। श्रग सावरसातच एपहार !६! १६वीया पीति वाया एच्चारंबा दर कहश्वायादन सूही||५१। सीनाशकाडा (का डिसा गर रहइ) तो नाव कमव खएगा।। ५८ । कायर एप कु । श्री जिन वचान सहीला संपती पर गवली कही। बादरनी गादान बी काय स्वतित्री लावन पत्ती कह: हवस कल एक तिमी वाकनेरीवली कहानी होस मकी ने नहीं एकलगार चालिजी दूग मित्रवतार: मी घानमा हिंज्या तहामको त का हा पकडी दिहा ६० कमी जाग्यावाघयोः (काडावाष्प काला हो गया: सीप मोहित राहात इमान का ० 3 ૪૬૧
SR No.023245
Book TitleSamattam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanuben Satra
PublisherAjaramar Jain Seva Sangh
Publication Year2010
Total Pages542
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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