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________________ ६७६ जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज सामन्तवादी अर्थव्यवस्था १२५, सावयववाद ६७, ६८ । १३१, १३६, १४१, १६०, सासादन ३६२. १६६, २०६, २३६-२४१,२५३, साहित्य/काव्य १, २, ३, ८, ११, २५५, ४७२, ४७३, ५०८ १२, १५-१८, २०, २३,२४सामन्त-संघ ८७ ३४, ५७, ६४ सामन्त-सेना ७१ काव्य लक्षण २१, २३, २४, सामयिक ३६३ काव्य/साहित्य चेतना २८, २६, सामाजिक अपराध १००, १०१ ३४, ३५, काव्य भेद २७, काव्य सामाजिक गतिविज्ञान ४. प्रयोजन २, १६, २०, साहित्यसामाजिक चेतना ११, २४, २७, समाज में प्रवृत्ति साम्य १५-१७ २६, ३२, ३४ साहित्य एवं समाज-उद्भव सामाजिक परिवर्तन ३, ८, ९, १०. विकास १७-१८, साहित्य शास्त्र - २४, ३२, १४० की समाज धर्मी मान्यताएं १६सामाजिक स्थितिविज्ञान ४ सामुदायिक स्वामित्व १८६ २४, साहित्यनिर्माण एवं सामासामूहिक अर्थव्यवस्था १६० । . जिक वर्ग चेतना २४-३५ सार्थनाथ २२४, २२६ साहित्यशास्त्र ३, १६-२१, २३, सार्थनायक २२६ २४, २७ सिंचाई २११, २३६ सार्थपति २२५, २२६ . सिंचाई के साधन : वर्षा एवं सार्थवाह १०४, १२०, १४६, १६६, नहर २११, राज्य की ओर से २२४, २२५, २३६, २४०, . २४१, २७५, २७६ ... सिंचाई व्यवस्था २११, रहट सार्थवाहाधिपति २२५, २२६ द्वारा सिंचाई २११, ऊँची भूमि सार्थवाहों के काफिले २२५, २४१ पर सिंचाई व्यवस्था २११ सार्थवाहों के गुप्तचर २२५ सिंचाई के साधन २११, २३६ सार्वजनिक शिक्षा ४०७ सिद्ध (पद) ३६० सार्वभौम (पद) १११ सिद्ध जीव ३८५, ३८६ सावध कर्म (व्यवसाय) २३८ । सिन्धी भाषा १४१ षड्विध १. असि (सैन्य व्यव. सिन्धु सभ्यता ४५८ साय), ३. मसि (लेखन व्यव- सुघ्न देश के वस्त्र २९७ . . साय), कृषि, ४. विद्या सम्बन्धी सुधारात्मक सिद्धान्त. १०१, १०३ . व्यवसाय) ५. शिल्प (तकनीकी सुरक्षात्मक प्रायुध १६६, १८० व्यवसाय), ६. वाणिज्य सुरङ्ग १६५ (व्यापार), २३८ सुषमा (काल) ३५६, ३५७
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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