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________________ विषयानुक्रमणिक विवाह - धार्मिक अनुबन्ध ४८५ विवाह - सामाजिक सम्बन्ध ४८५ विवाह तथा परराष्ट्रनीति ४८६ ४८८ विवाह + वर्ण व्यवस्थानुसारी ४८५ ब्राह्मणों के लिए — ब्राह्म प्राजात्य, श्राषं, देव ४८५, क्षत्रियों के लिए - राक्षस, गान्धव ४८५, वैश्यों के लिए - आसुर ४६५, शूद्रों के लिए पैशाच ४८५ विवाह-विधियां ४६४, ४६६ ५०१ वराङ्गचरित में ४६६ ४६७, पद्मानन्द में ४६७४६६, सनत्कुमारचक्रिचरित में ४६६ प्रद्युम्नचरित में ४६६५००, द्वयाश्रय में ५००, शान्तिनाथ चरित में ५०० - ५०१, कर्नाटक की ४९७, गुजरात की ४ε७-५००, राजस्थान की ४६-५०१ विवाह संस्था ४८५ - ५०७, ५०६ इसका समाजशास्त्रीय स्वरूप ४८५, प्राचीन भारतीय विवाह भेद ४८५, ४८६, जैन महाकाव्यों में विवाहभेद ४८७४६५, मंत्ररणापूर्वक विवाह ४८६, स्वयंवर विवाह ४८६, ५०२, ५०३, पूर्वाग्रह पूर्ण स्वयंवर विवाह ४६०, प्रेम विवाह ४६१-४६२, अनुबन्धनात्मक प्रेम विवाह ४६२, ४६३, प्रतिज्ञाविवाह ४६३, ६६५ अपहरण विवाह ४९३-४१५, विवाह चयन ४६५ ५०३, विवाह विधियां ४९६-५०३, विवाह सम्बन्धी रीतिरिवाज ५०१, दहेजप्रथा ५०४ -५०६ बहुविवाहप्रथा ५०६, ५०७ विवाह सम्बन्ध — राजनैतिक ४६६ विवाह सम्बन्धी हास-परिहास ५०१५०२ विश्वासघाती (विधि) १८२, १८३ विषय ११६, ३५६, ३७०, ५१२ विषयपति (पद) ११६ विषवाणिज्य (व्यवसाय) २३६ विष्णु २६, ६१, ३१६, ३७० ३७२, ३७२, ३८०, ३६८ विष्णु की आराधना ३७२ विष्णु के दशावतार ३७२ विष्णु प्रतिमाएं ३७२ विष्णु मन्दिर ३७२ विस्फोटक पदार्थ २३६ विहार, (शिक्षा केन्द्र ) ४०६ वीणा - चौदह प्रकार की ४४० वीतराग ३६०, ३८५ वीथिमहत्तर १२६ वीथी २३ वृक्ष / वनस्पति २१३-२२१, १५६, १५८, १६४, २३८, २४०, ३०१, ३६३ छायादार वृक्ष २१८-२२१, पुष्प वृक्ष २१८-२२१, फलोंमेवों के वृक्ष २१७-२१८, मसालों-सुगन्धित द्रव्यों के वृक्ष
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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