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________________ ६५४ जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज युरधर्म १५६, १८६, १८७ रट्ठउड़ १२६ युद्धनीति १५०, १५२, १८६, रणक १३४ १८८ । रणसंशोधन १६७ युट प्रयाण ३२, ५८, ७५, ६६, रतिक्रीड़ा २६, ३३. ५२, ५६, ६४ ११३, १३८, १३६, १५७, १०२, १३८, २९५, २६६ ४७६ , युद्ध भूमि ११३, १५६, १६१, १६७, रत्नकार २३२ पा० । । रत्नत्रय ३६३, ३८५, ३६२: 1 युद्धादिकर्म (क्यवसाय) २०२, २०६ रस्नोत्पत्ति स्थान ६७ युद्धों के भेद १६३-१६७ रथकर्ता (व्यवसाय) २३७ : प्रश्वयुद्ध १६४, गजयुद्ध. १.६४, रथ युद्ध १६४ मुरिल्लायुद्ध १६३, दुयुद्ध, । रस (काव्य) १६, २३, २७, २८, १६४, दृष्टि युद्ध १६३, पदाति रस (तत्त्व) ३८७, ३८८ युद्ध १६३, पुलिन्द मल्लयुद्ध रस वाणिज्य (व्यवसाय) २३९ १६२ युद्ध, १६५, भुजयुद्ध रहोगृह २५२ १६३, रथ युद्ध १६४, राजकर्मचारी ८८, १०५, १०८, वाग्युद्ध १६३ १२१-१२३ युद्धोपयोगी उपकरण १५८ वनपाल १२१, द्वारपाल १२१, युद्धोपयोगी विद्याएं ४२६ .... कंचकी १२१, विदूषक १२१, युद्धोपयोगी पशु १५६, १६२, १६३ गुप्तचर १२१, अङ्गरक्षक २२१, २२२ १२२, सूत १२२, कुब्ज १२२, युवराज (पद) १०६. ११८, १५८ सूपकार १२३, भोजक १२३, योग ३६३, ३६५, ३६६, ३८६. भट १२३, रजक १२३, चित्रकार १२३, नट १२३, जीव की शक्ति ३८६, योग के धात्री १२४, चेटिका १२४ तोन प्रकार ३६३ ...: राजकीय पत्रों का मुद्रण २५६ योदामों का दाह-संस्कार १६७ राजकुमारों की शिक्षा ४०७, ४१०योदामों की चिकित्सा १६७ ४१२, ४१६, ४२३, ४३५, रङ्गरेज २३३ पा०, २३४ रनोपजीवी (नाटककार) २३५ राजकुलों के विवाह सम्बन्ध ४८६ रजक (धोबी) १२३, २०७, २३४ राजदरबार.२८) ३२. ८०, ८६, रट्ठ २५५, २७७, २८१ । १०४८, २३१,२०५ .
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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