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________________ विषयानुक्रमणिका महादण्डनायक (पद) ११६ महानगर २७१ पा० महानस ( पाकालय) २५२ महापौर २७१ पा० महामण्डलेश्वर (पद) ८६, ८७,१५४ महामहत्तर १२६ महामण्डलिक (पद) ८३ महामात्य (पद) ७२, ११०, ११२, १५३, १५४, १५८ महायान शाखा ४२१ महाराजाधिराज ८४, ६४ महाराजाधिराजपरमेश्वर ८४,९४ महासन्धिविग्रहिक ११५ महासामन्त (पद) ७८, ८६, १११ महिलाओं की साक्षरता ४०७ मांस भक्षण २६४, २६५, ३११, ३३०, ३८० मांस निर्मित भोज्य पदार्थ २६२, २६४, द्रष्टव्य 'मांसौदन' fairs पशुओं का मांस भक्षण २६४, जैन धर्म में निषिद्ध २५, ३३१, कुमारपाल द्वारा मांस विक्रय पर प्रतिबन्ध २६५, ३३०, निम्न जाति के लोगों द्वारा गोमांस भक्षण २६४ माकार नीति १०२, १०३ मार्गारि २५५ माम्बिक / माsम्बिय १३६ माण्डलिक (पद) ८३, ८४, ६५, ८६, ८७, १११, ११६, १५६ माण्डव्य (गोत्र) ३१७ मातृपक्ष की विद्याएं ४२३ ६५ १ मातृ देवियां ४५८ मातृसत्तात्मक परिवार ४५८ मात्स्यन्याय ६८, ६६, १००, १४६ माप-तौल २२८, २३१, २३२ मायावाद ( लोकायतिक) ४००, ४०१, ४०६ शङ्कराचायं के मायावाद से भिन्न ४०१, सम्पूर्ण जगत् का माया से श्राच्छादन ४०१, पारलौकिक मूल्यों पर अनास्था ४०१, इहलौकिक सुख भोगों में श्रद्धा ४०१, अमरचन्द्र सूरि द्वारा मायावादियों का तार्किक खण्डन ४०१-४०२ मायावाद ( शंकराचार्य ) ४०१ मालव ( गण ) ५३४ मालाकार २३३ पा०, २३४ मीमांसक ३७६, ३६६ मीमांसादर्शन ३६६, ३६७, ४०५ इसके जीवाजीव आदि छह पदार्थों का निरूपण ३६६ मोक्ष को पदार्थ नहीं मानना ३६७, सर्वज्ञवाद का तार्किक खण्डन ३६६-३६७ मुक्त जीव ३६०, ३८५, ३८६ मुक्त वर्ग के प्रायुध १६८, १६६, १७४ मुखिया १२६- १२८, १३०, १३२, १३६, १९६ किसानों के १६६, कुटुम्बों के १३६, कुलों के १३३, ग्रामों के
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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