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________________ जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज युग मूल्यों का प्रभाव ४६७, एकल्लवीरा देवी का मन्दिर ४६८, स्त्री-सौन्दर्य/भोगविलास ____३३६, कुमारविहार मन्दिर के मूल्यों की प्रधानता ४६७, ३४७, गिरनार मन्दिर ३४३, ४६८, युद्ध चेतना तथा नारी चण्डीमारी देवी का मन्दिर चेतना का प्रन्योन्याश्रित प्रभाव ३६६, जगन्नाथ मन्दिर ५१६, ४६८, राजनैतिक परिस्थितियों जिनपति मन्दिर ३४६, जिन का प्रभाव ४६६, समाज की स्तम्भन मन्दिर ३४५, झोलिका सर्वव्यापक शक्ति के रूप में विहार मन्दिर३४७, ताम्रोश्वरी ४६९-४७३ देवी का मन्दिर ५३३, दक्षिण मनःपर्ययज्ञान ३८१ विहार मन्दिर ३४७, नेमिनाथ मन्त्रविद् (प्रोझा) २३६ मन्दिर ३४५, पञ्चासर पार्श्वमन्त्रणा ५८, ६०, ६२, ६४, ८०, नाथ मन्दिर ३४४, पार्श्वनाथ ५८, ६१, ६५, ६६, ६७,११८, मन्दिर ३४५-३४७, भीमेश का २६६ मन्दिर ३४४, भट्टार्क का मन्त्रणापूर्वक विवाह ४८६-४८६ राणक मन्दिर ३४५-३४७, मन्त्र शक्ति ७३, ७४, १५० भीमेश का मन्दिर ३४५, भट्टामन्त्रिपुत्र (पद) १२० दित्य का मन्दिर ३४४, मल्लदेव मन्त्रिमण्डल ७७, ७८, ८०, ६१, का मन्दिर ३४७, विष्णु मन्दिर ६४, ६५, ६६, १८, ११०, ३७२, वीर का मन्दिर ३४६, ११८, ११६, १५०, १५१, , वैद्यनाथ मन्दिर ३४५, ३४७, १५३, ३८१,४६३ ५३१, शिव मन्दिर ३७१, सुव्रत मन्त्री (पद) १०६, ११०, १११, का मन्दिर ३४६, सूर्य मन्दिर ११२, ११८, ११६ ३४५, सोमनाथ मन्दिर ३४३ मन्त्रीश्वर (पद) ११२ मन्दिर कपाट ३४२ मन्दिर १३, २४६, २५१, २५२, इनमें सोने-चांदी-तांबेके आकार ३१४, ३२५, ३२७, ३३६- चित्रों का अङ्कन ३४२, घोड़े, ३४७, ३६४, ३६६ हाथी, सिंह, व्याघ्र, रथारोही, मन्दिर (जैन तथा हिन्दू) ३३६, हंस आदि के चित्र ३४२ : ३४५-३४७, ३६६, ५१६,५३२ मन्दिर का उत्तानपट्ट ३४४.. ५३३ मन्दिर का तोरण ३४६ आदिनाथ मन्दिर ३४५, ३४६, मन्दिर का मण्डप ३४५ इन्द्रमण्डप मन्दिर ३४५, मन्दिर का स्वर्णद्वार ३४६
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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