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________________ ६१४ चक्षुग्राह्य (पदार्थ) ३८८ चण्डी मारी देवी का मन्दिर ३६६ चतुर्दश रत्न १९४, २०० जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज चान्द्रमास ३५६ चापाचार्य ४२७ चार प्रकार की सभाएं २७६ चारित्र ३६१ चारित्रगुप्ति ३९० चार्वाक अनुयायी ३६६, ४०२ चार्वाक दर्शन ३६६, ४०२, ४०६ चालुक्य वंश ५७, ६६, ८४, ८७, १४३-१४७, १५३, २२७, ३२२, ३२३, ३६८, ३७१, ५३४ वंशोत्पत्ति १४४, वंशक्रम १४४१४५, पश्चिमी चालुक्य वंश ३३२, कल्याणि के चालुक्य ३२२ प्रचेतन रत्न तथा चेतन रत्न ६४, अश्व रत्न, असिरत्न, कांकिणीरत्न, गजरत्न, चर्मरत्न, चूणामणिरत्न, छत्ररत्न, दण्डरत्न, पुरोहितरत्न, शिल्पीरत्न, सेनापतिरत्न, स्त्रीरत्न १९४ चतुर्दशियां ३२८ चतुरङ्गिणी सेना ४६० चतुर्विंशतिस्तव ३६३ चतुविध उपाय ७५, ७७, ७८, ८२, १५० चतुर्विध धर्म ३२४ चतुविध बल ७१ मौल, वंत्र, भूत्य, प्राटविक ७१ चतुर्विधातोद्यचतुरता ४४१ चतुर्वेद: ४२६ चतुष्क ( चौराहा) २५१ चत्वर (चौपाल) २४८ पा० चन्द्रवंशी राजा १४४, २८७ चमूप (पद) ११६,११७ चमूपति (पद) ११०, ११२, ११७ चरवाहे २३३ पा० चरित पुराण ४५ चर्मकार २३२ पा० चल-अचल पदार्थ ३६७ चल-यंत्र प्रायुष १६८, १७७ चाट १३८ चाणूरमल ३७२ चालुक्य शासनव्यवस्था १०६, १२०, १४५, ३७२, ३७३, चाहमान (चौहान) वंश ६४, १४११४४, १४७, १५४, २०६, ५२६ चाहमान शासनव्यवस्था १०६, ११८ चित्तसन्तानज्ञानधारा ३६८ चित्रकर्म (व्यवसाय) २३६, ३२७ चित्रकला - वास्तुशास्त्रीय ४४३, ४४४ चित्रकला मन्दिरों की ४४३, ४४४ चित्रकला - श्रङ्गारिक ४४४, ४४५ चित्रकार १२३, २००, २०४, २३३ पा० २३६ चुलुक (पीर) १४४ चूड़ाकरण संस्कार ४०६ चेटिका १२४, १५६ चेतनालक्षण ३८४
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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