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________________ - जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज पुरोडास (यज्ञ रोट) २६४ कोलाट' 'क्षरेय', 'दाधिक', मक्खन २३६ वटकिनी', 'मोदक', 'शष्कुलि' मण्डक (रोटो/चपाती) २६२, मेरेय (मदिरा) २१६, २६५ मोदक (लड्डू) २६४, ३११ 'मदिरा/मद्य ४६, ५३, ८१, यवाणु (चावल की खिचड़ी) """".१९२, २१६, २३६, २९५, २६४ - २९६, ३११, ३८० .वैटक (बड़ा) २६३, ३११ इसके विभिन्न प्रकार-... वटकिनी (मिष्टान्न) २६४ परिष्ट, -कादम्बरी, मैरेय, शक्कर २१२ सुरा, १९५, मदिरा शर्बत २१६ S+-निर्माण की विधियां २१६, शकुलि (जलेबी) २९४ ' क्ष-वनस्पतियों का एक सक्तु/सत्तु (जो चूर्ण) २६२, ro "मुख्य उत्पादन २१६ ५ ३११ मने पंजाबी रोटी) २६२ ."-सक्तु धान (मने चावल) २६४ मण्डिकी (छोटी रोटी) २६३ . सुरा (मदिरा) २१६, २६५ मधुशहद २१६, २३६, २६५, खाटिक २७२, २८० दोसी ग्रामों का समूह २८० मर्मरोल (गुजराती पापड़) २६३ खान ६७, २२४, २५७, २६१ ३११ सीने चांदी की २५७, रत्नों की rF मांस २२३, २६४, २६५, २६१ - ११, १२०, १८० खिलजी नीति १८८ ::१६% मांसोदन मिति मिश्रित भात) , खेट १६६, २४२, २४३, २५८, २२, २६४ २६०, २८०, २८१, २८४, मान्डा हरियाणवी रोटी) " ३११:" २६२ 'मान्डे (गजराती रोटी) २६२ * . ' ' 'नदी पर्वत से प्रावेष्टित नगर २५८, 'नदी के तीरस्थ ग्राम मिष्टान्न (मिठाइयां) २३४, विकसित ग्राम २५६, २६४ .. मोठ पकवान २६२-२९४, जंगल मध्य स्थिति २५८, पुर का प्रार्धा भाग २६८, मांसद्रष्टव्य' ।' 'खाण्डमाण्डा' 'प्रपूपिका' (मालपना) जीषियों का निवास स्थान २५८, 'यवाविशिष्ट मिठाइयां शूद्रों का निवास स्थान २५८ १४: द्रष्टव्य 'मोदश्विक', ' खेटक १८० .
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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