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________________ जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज कुषाणकाल २३० २१५, २३८, २५६, २६१, कुषाण राज्य ५१३ दालें, २११-२१३, गन्ना २१२, कुसलक (धान्यपात्र) १०५ शाक सब्जियां २१२, २१३ कूप ३३३, ३४४, ३४५ कृषि/वृक्ष उत्पादन :कृतकर्म ३६३ अनाज/अन्न १६३, १६५, २१० कृषक/किसान १२५, १३२, १३७ २११, २१२, २१५, २५६, १४१, १९०, १९५, १९७, २६१, ३६६ . १९६, २०१, २०४, २०६, अलसी २११ २३६, २४१ आर्द्रकन्द (अदरक) २१३ कृषक जाति १३३, १४०-१४२ इलायची २१५, २१६, २१७ कृषक वर्ग २०६, २१५, २४० ईख २१२, २१५, २३७, २५६, कृषकों के ग्राम २५२ २६०, २८६ कृषि (उद्योग) ३०, ३१, १४०, ईख का रस २१२ २०७-१६०, १६१, २०१-२०४, उड़द २१२, २१३ २१३-२१६, २२१, २३६, २३८, कपूर २१६ २४०, २४४, २९१, ३२१ कलिङ्ग (कलिदा/तरबूज) २१३ प्रमुख उद्योग के रूप में कालागरु (धूप) २१६, २३७ २०९-२१०, शूद्र वर्ग का मुख्य केशर २१६ व्यवसाय २०६-२१०, कला कूष्माण्ड (कद्) २१३ कौशल के अन्तर्गत कृषि २०४, कोद्रव (कोंदों) २१२ कृषि गतिविधियां २१०, सिंचाई गोधूम (गेहूँ) १६३, २११, के साधन २११, कृषि उत्पादन २३८ २११-२१२, पाण्डुकनिधि और गोशीर्ष चन्दन १७४, २१५, कृषि उत्पादन १६३, इसका २२६, ४४६ सामन्तवादी ढांचा १९७-१९६, चना १६३, २११, २१३ इस पर सामन्त राजाओं का चन्दन २१४, २१५ नियंत्रण २४०, २४१, गन्ना चावल १६३, २१२ उत्पादन २१२, शाक-सब्जी चिर्भट (कचरिया) २१३ उत्पादन २१२ जौ १६३, २१२, २६४ कृषि उत्पादन १६०, १६३, १९५, ताम्बूल २१६, २५६ २१०-२१३, २४०,२६१, २६२, तिल २११, २१२, २३७, २३६ अनाज उत्पादन २१०-२१२, दाले २१३
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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