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________________ ३३ जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज सन्धियाँ, ' पांच कार्यावस्थाएं, पांच श्रर्थप्रकृतियाँ आदि नाटक की घटनाओं को रोचक एवं साभिप्राय ही नहीं बनाती हैं, अपितु इन तत्त्वों से भारतीय समाज के मूल तत्त्व पुरुषार्थ एवं भाग्य, कर्म सिद्धान्त, आशावाद की पृष्ठभूमि भी सुदृढ होती है तथा मनुष्य को अनेक विषम परिस्थितियों से जूझने का सन्देश भी प्राप्त होता है आधुनिक मनोवैज्ञानिक मक्डूगल के विचारानुसार मानव की १८ प्रकार की मनोवृत्तियाँ होती हैं । डा० आर० जे० एस० मक्डोवल ने इन्हें १४ मनोवृत्तियों तक ही सीमित कर दिया है। नाटक में भी मानव स्वभाव की इन मनोवृत्तियों का सफल प्रदर्शन होता है । नाट्यशास्त्र ने इन्हें स्थायी भावों की संज्ञा दी है तथा ये संख्या में आठ या नौ होते हैं - रति, हास, शोक, क्रोध, उत्साह, भय, जुगुप्सा, विस्मय तथा शम । इसी प्रकार, अन्य, विभाव, अनुभाव एवं व्यभिचारी भाव भी मानव स्वभाव की विचित्र एवं विविध अनुभूतियों के ही परिणाम हैं । प्रेक्षक को इनसे विविध परिस्थितियों में तदनुकूल मानवीय आचरण का मनोवैज्ञानिक ज्ञान प्राप्त होता है । नाट्य शास्त्र के अनुसार प्रतिपादित रूपक के दस भेदों का भी सामाजिक वर्ग भेदों एवं सामाजिक रुचियों की दृष्टि से विशेष महत्त्व है । उदाहरणार्थ 'नाटक' प्रसिद्ध वृत्त को लेकर प्रवृत्त होते हैं तथा उच्चस्तरीय सामाजिक आदर्शों का इनमें प्रतिपादन होता है । 'प्रकरण' का स्तर कुछ निम्न होता है । इसमें विप्र, अमात्य तथा वैश्य भी नायक हो सकते हैं तथा वेश्याओं को भी नायिका के रूप में इसमें स्थान दिया जाता है । समाज के अन्य निम्न वर्ग १. साहित्यदर्पण, ६.७५ २ . वही, ६.७० ३. वही, ६.६४ ४. तुo राजवंश सहाय हीरा, भारतीय साहित्यशास्त्र कोश, पृ० ३८० ५. ये चौदह प्रकार की मनोवृत्तियों के नाम हैं-भय, क्रोध, घृणा, वात्सल्य, औत्सुक्य, गर्व, दासत्व, दैन्य, रति, एकाकीपन, क्षुधा, अधिकार-भावना, सृजनोत्साह तथा ह्रास | - पी० वी० काणे, संस्कृत काव्य शास्त्र का इतिहास, पृ० ४४२ ६. तुo - रतिर्हासश्च शोकश्च क्रोधोत्साहो भयं तथा । जुगुप्सा विस्मयश्चेत्थमष्टौ प्रोक्ताः शमोऽपि च ॥ - साहित्यदर्पण, ३.१७५ तु० 'नाटकं ख्यात- वृत्तं स्यात् ' -- साहित्यदर्पण, ६.७- १० तथा 'ख्याताद्यराजचरितं धर्मकामार्थसत्फलम्' - नाट्यदर्पण, १.५ ८. साहित्यदर्पण, ६.२२४-२६ नाट्यदर्पण, २ . १ ७.
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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