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________________ जन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज धर्म नर० नाट्य नामलिङ्गा० नारद० नीति० नेमि० पद. पद्म० पमा० परि० पावं० । प्रद्यु० प्रबन्ध प्रभावक० बृहत्कथा० बृहस्पति मझि० . मनु महा. महावस्तु० यशस्तिलक० यशो० युद्ध० रघु० राजधर्म वरांग० वरांग० (वर्ष) वर्ध० वसन्त वस्तु वाङ्मयार्णव० विद्वन्मनो. धर्मशर्माभ्युदयमहाकाव्य नरनारायणानन्दमहाकाव्य नाट्यशास्त्र नामलिङ्गानुशासन नारदस्मृति नीतिप्रकाशिका नेमिनिर्वाणमहाकाव्य पदकौमुदी टीका (द्विसन्धान महाकाव्य) पद्मचरित पद्मानन्दमहाकाव्य परिशिष्टपर्व पार्श्वनाथचरित प्रद्युम्नचरितमहाकाव्य प्रबन्धचिन्तामणि प्रभावकचरित बृहत्कथाकोश बृहस्पतिस्मृति मज्झिमनिकाय मनुस्मृति महाभारत महावस्तु अवदान यशस्तिलकचम्पू यशोधरचरित युद्धकाण्ड (रामायण) रघुवंश राजधर्मकौस्तुभ वरांगचरित महाकाव्य वरांगचरितमहाकाव्य (वर्धमानकविकृत) वर्धमानचरित वसन्तविलासमहाकाव्य वस्तुपालचरित वाङ्मयार्णवकोश विद्वन्मनोवल्लभाटीका (चन्द्रप्रभचरित)
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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