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युद्ध एवं सैन्य व्यवस्था
व्यवस्था होती थी । '
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चन्द्रप्रभचरित के अनुसार युद्ध प्रयाण के अवसर पर चतुरङ्गिणी सेना में गज सेना प्रयाण करती थी । उनके ऊपर बैठे हुए महावत डिण्डिम बजाते हुए जाते थे । संभवतः डिण्डिम की ध्वनि से सभी नागरिक सतर्क हो जाते थे तथा मार्ग छोड़ देते थे । 3 गज धीरे-धीरे चलते थे । तदनन्तर वेग से अश्व सेना प्रयाण करती थी । उसके बाद रथारोही अर्थात् रथ- सेना चलती थी। मध्य भाग में राजा को घेरकर सामन्त एवं माण्डलिक नृप गरण प्रयाण करते थे । राजा के चारों ओर अङ्गरक्षक नियुक्त होते थे । ६ पदाति सेना राजा के पीछे-पीछे उसे चारों ओर से घेरकर चलती थी । ७
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सेना के साथ जाने वाली स्त्रियाँ आदि
वराङ्गचरित के अनुसार सेना के साथ रानियां पालकियों में बैठकर जाती थीं । तथा चन्द्रप्रभ० के अनुसार रानियां हाथियों में बैठकर जाती थीं । अन्तःपुर की दासी - चेटियां आदि खच्चर पर बैठकर जाती थीं । १० सामान लादकर ऊँट सेना के साथ जाते थे । ११ बैलों से जुती गाड़ियों में घी इत्यादि खाद्य सामग्री लादकर ले जायी जाती थी । १२ कुली भी कांवर पर बोझ लादकर सेना के साथ
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१. वराङ्ग०, २०.६१
२. पथिषु हस्तिपकाहत डिण्डिमध्वनित० । —चन्द्र०, १३.१४
३. कुपितधीरनिवर्तितदृष्टिभिः पदमदीयत मत्तमतङ्गजैः । - वही, १३.१४
४. वही, १३.१७
५. वही, १३.८
६. कतिपयानि न यावदयुः पदान्यनुचरै रभसेन विनिर्गताः । - वही, १३.२१
७. तान्भटगणा नृपतीन्परिवरेि । - वही, १३.२१
वराङ्ग०, १०.५ε-६०
८.
६. गजवधूष्ववरोधपुरंध्रयः । - चन्द्र०, १३.२४
१०. जनरवात्त्रसतो निपतन्त्यधस्त रलवेगसरादवरोधिका । - वही, १३.२७
११. कृतकटुस्वरमायतकन्धरं सपदि भाण्डमपास्य पलायितः । - वही, १३,२८
१२ . वही, १३.२६
१३. वही, १३.३१