________________
आगम के पन्नो में जैन मुनि जीवन
888 32
राजकला समदामु
गयवसह
गरानेही रमाण 12 इमे एयारुवन सिनेमंगले समिरायचउद्द मिपा मित्रापडि बुद्दा उहा साहयतिमय दाम सिदिय उमसर सागर विमाण सवण रयण ताणं सादेवाणंदा माहीत श्रमिणेहि चित्रम
ड्राय कराय जयसिहव
मिपास एदियापी
अचलगच्छीय मुनि गुणवल्लभ सागरजी म.सा.