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________________ १०] गौतमचरित्र। विजय, अचल, मुधर्म, सुप्रभ, स्वयंप्रभ, आनन्दी, नन्दिमित्र, रामचन्द्र और बलदेव ये नौ बलभद्रोंके नाम हैं। ये सब विना किसी निदानके होते हैं और इसीलिये जिनदीक्षा धारण करते हैं, मोह और कामदेवको जीतते तथा सब ऊर्ध्वगामी होते हैं। कोई स्वर्ग जाते हैं और कोई मोक्ष जाते हैं ॥१५८१५९।। पहले नारायण, प्रतिनारायण, बलभद्र श्रेयांसनाथके समयमें हुए, दूसरे प्रतिनारायण, बलभद्र, नारायण, वासुपूज्यके समयमें, तीसरे विमलनाथके समयमें, चौथे अनंतनाथके समयमें, पांचवें धर्मनाथके समयमें, छठे अरनाथके समयमें, सातवें मल्लिनाथके समयमें, आठवें मुनिसुव्रतनाथके समयमें और नौवे प्रतिनारायण, नारायण, बलभद्र नेमिनाथके समयमें हुए हैं।।१६०॥ भीमबली, जितशत्रु, रुद्र (महादेव), विश्वानल, सुप्रतिष्ठ, अचल, पुंडरीक,अजितधर,जितनाभि, पीठ, सासक ये ग्यारह रुद्र वा महादेवके नाम हैं । ये ग्यारह ही महादेव ग्यारहवें गुणस्थानसे गिरकर मरकर नरकमें ही गये हैं॥१६१-१६२॥ इनमेंसे पहला और दूसगरुद्र श्रीषभदेव और अजितनाथके मध्यकालमें हुए । स्वयंप्रभस्तथानंदी नंदिमित्राभिधः क्रमात् ॥१५८॥ रामः पद्मो बलाः प्रोक्ता निनदीक्षाप्रधारकाः । मोहमदनजेतारो निर्निदानास्तथोर्ध्वगाः ॥१५९॥ एकादशमतीर्थेशपंचारमलिशासने । सप्त कृष्णाः क्रमाद ज्ञेयाः सुव्रतनेमयोः परौ ॥१६० ॥ भीमबलिर्जितामित्रो रुद्रो विश्वानलस्तथा । सुप्रतिष्ठोऽचलश्चति पुंडरीको जितधरः॥१६१॥ नितनाभिश्च पीठाख्यः सात्यक ईश्वरा इमे। एकादशगुणस्थानान्निपत्याधोगतिं गताः ॥१६२॥ वृषभानितयोः काले द्वौ रुद्रौ नवमादिषु । निनेप्वष्टसु
SR No.023183
Book TitleGautam Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchandra Mandalacharya, Lalaram Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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