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________________ १५६ ] गौतमचरित्र। वा अविरतके बारह भेद श्रीसर्वज्ञदेवने कहे हैं ॥ ३७॥ ससमनोयोग, असयमनोयोग, उभय मनोयोग, अनुभय मनोयोग ये चार मनोयोगके भेद हैं, सत्यवचनयोग, अससबचनयोग, उभयवचनयोग, अनुभयवचनयोग ये चार बचनयोगके भेद हैं ॥३८॥ औदारिक काययोग, औदारिक मिश्रकाययोग, वैक्रियिककाययोग, वैक्रियिकमिश्रकाययोग, आहारककाययोग, आहारकमिश्रकाययोग और कार्माणकाययोग ये सात काययोगके भेद हैं ॥ ३९ ॥ कषायके दो भेद हैं। कषायवेदनीय और नोकषायवेदनीय । इनमेंसे अनन्तानुबन्धी क्रोध, मान, माया, लोभ, अप्रयाख्यानावरण क्रोध, मान, माया, लोभ, प्रयाख्यानावरण क्रोध, मान, माया, लोभ, संज्वलन क्रोध, मान माया, लोभ ये सोलह भेद कषायवेदनीयके हैं। हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, पुल्लिंग, स्त्रीलिंग, नपुंसकलिंग ये नौ नोकपायवेदनीयके भेद हैं । इसप्रकार सब मिलकर पच्चीस भेद कषायके हैं ॥४०-४२॥ जिसप्रकार समुद्रमें पड़ी हुई नावमें चानुभयस्यापि भेदतः । चतुर्विधो मनोयोगो बचोयोगस्तथैव च ॥ ३८ ॥ औदारिकं च सन्मिश्रं वैक्रियिकं च मिश्रकम् । आहारकं द्विकं कार्मकाययोगाश्च सप्तधा ॥३९॥ क्रोधादिमानमायानां लोभस्य च कषायकः। अनंताद्यनुवंध्यप्रत्याख्यानभेदतोऽष्टधा ॥४०॥प्रत्याख्यानात्तथा सूक्ष्मादष्टविधाः प्रकीर्तिताः। कषायवेदनीयस्य भेदाः षोडशधा मताः ॥४१॥ हास्यरतिजुगुप्साश्चारतिशोकभयस्त्रियः । नृपंडौ नोकषायस्य भेदा नवविधाः मताः ॥ ४२ ॥ नावि छिट्टैर्यथा वा धों
SR No.023183
Book TitleGautam Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchandra Mandalacharya, Lalaram Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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