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________________ पांचदां अधिकार। [ १५३ जीवोंकी तीन दिनकी उत्कृष्ट स्थिति है ॥२४॥ द्वींद्रिय जीवोंकी उत्कृष्ट स्थिति बारह वर्ष है और तेइंद्रिय जीवोंकी उत्कृष्ट स्थिति श्रीजिनागममें उनचास दिनकी बतलाई है ॥२५॥ चतुरिंद्रय जीवोंकी उत्कृष्ट स्थिति छह महीनेकी है और पंचेंद्रिय जीवोंकी उत्कृष्ट स्थिति तीन पल्यकी है तथा इन्हींकी जघन्य स्थिति अन्तर्मुहर्तकी है ॥ २६ ॥ जिनागममें द्रव्य छह बतलाये हैं। धर्म, अधर्म, आकाश, पुद्गल, जीव और काल । इनमेंसे धर्म, अधर्म, आकाश और पुद्गल ये चार द्रव्य अजीव भी हैं और काय (वहुप्रदेशी) भी हैं ॥२७॥ इन छहों द्रव्यों मेंसे पुद्गलद्रव्य रूपी है और बाकी सब अरूपी हैं तथा सभी द्रव्य नित्य हैं। जीव और पुगल दो द्रव्य क्रियावाले हैं और बाकी चार द्रव्य क्रिया रहित हैं ॥२८॥ धर्म, अधर्म और एक जीवके असंख्यात प्रदेश हैं, पुद्गलोंमें संख्यात, असंख्यात और अनंत तीनों प्रकारके प्रदेश हैं, आकाशके अनंत प्रदेश हैं और कालका एक एक प्रदेश है ॥ २९ ॥ दीपकके प्रकाशके समान जीवोंके प्रदेशोंमें भी पवनानां परा त्रीणि स्थितिवन्हेर्दिनत्रयम् ॥ २४ ॥ द्वादशवत्सराः प्रोक्ता द्वींद्रिये च परा स्थितिः । त्र्यक्षे चैकोनपंचाशदिनानि श्रीजिनागमे ॥२५॥ चतुरक्षे च षण्मासा उत्कृष्टायुःस्थितिर्मता । पंचाक्षे त्रीणि पल्यानि जघन्यांतर्मुहूर्तिका ॥२६॥ अजीवकायका धर्माधर्माकाशानि पुद्गलाः। जीवाः द्रव्याणि कालश्च षट् प्रोक्तानि जिनागमे॥२७॥ अरूपाणि च नित्यानि रूपिणः पुद्गलास्तथा । निष्क्रियाणि च चत्वारि क्रियिणौ जीवपुद्गलौ ॥ २८ ॥ धर्माधर्मैकनीवानामसंख्येयाः ।
SR No.023183
Book TitleGautam Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchandra Mandalacharya, Lalaram Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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