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मंडलाचार्यश्रीधर्मचन्द्रविरचितश्रीगौतमचरित्र। (भाषाटीका सहित) प्रथम अधिकार।
अर्हन्तं नौम्यहं नित्यं, मुक्तिलक्ष्मीप्रदायकम् ।
विबुधनरनागेंद्रसेव्यमानं सुपत्कनम् ॥ १ ॥ __ अर्थ-जो भगवान् अरहंतदेव मोक्षरूपी लक्ष्मीके देनेवाले हैं और जिनके चरणकमलोंकी सेवा इंद्र, नरेंद्र, नागेंद्र, सब करते हैं ऐसे भगवान् अरहंतदेवको मैं सदा नमस्कार करता हूँ॥१॥ जो सिद्ध भगवान् कर्मरूपी शत्रुओंका नाश करनेवाले हैं, आठों कर्मोके निाश होनेसे प्रगट हुए सम्यक्त्व आदि आठों गुणोंसे सुशोभित हैं, जो लोकशिखरपर विराजमान हैं और जो सदा उसी मुक्त अवस्थामें बने रहते हैं
श्रीगौतमचरित्रम् । अर्हतं नौम्यहं नित्यं मुक्तिलक्ष्मीप्रदायकम् । विबुधनरनागेंद्रसेव्यमानसुपत्कजम् ॥१॥ सिद्धा नः सिद्धये संतु कारातिप्रणाशकाः।