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________________ * षष्ठ सर्ग चाहिये कि लक्ष्मी वंश परस्परासे प्राप्त नहीं होती । वह तो खड्ग द्वारा आक्रमण करनेसे ही भोगी जाती है और इसी लिये यह कहावत प्रचलित हुई है कि वसुन्धराको वीर पुरुष ही उपभोग . कर सकते हैं। __ नमिराजाके दूतको इस तरहको बातें सुना कर, बल्कि कहना चाहिये कि उसे अपमानित कर चन्द्रयशाने उसे विदा किया। उसने जाकर, यह सारा हाल नमिराजाको कह सुनाया। इससे नमिराजाको बड़ा ही क्रोध चढ़ा और उसने उसी क्षण रणभेरी बजवा कर सैनिकोंको रणयात्रा करनेकी आज्ञा दी। देखते-हीदेखते नमिराजाकी यह सेना सुदर्शनपुर जा पहुंची और नगरपर आक्रमण करनेकी तैयारी करने लगी। इधर चन्द्रयशा भी पहलेसे तैयार बैठा था। उसने भी अपने सैनिकोंको तैयार होनेकी आज्ञा दे दी। उसकी इच्छा थी कि नगरके बाहर निकल कर नमिराजा की सेनासे मोर्चा लिया जाय; किन्तु बुरे शकुनोंने उसे रोका और मन्त्रियोंने भी उसे सलाह दो कि इस समय नगरके दरवाजे बन्द कर यहीं बैठ रहना और शत्रुको गति विधि देखते रहना अधिक लाभ दायक है। यह सुन चन्द्रयशाने मन्त्रियोंकी सलाह मान ली और ऐसा ही किया। उधर नमिराजाने भी चारों ओरसे नगरको घेर लिया। ___ इस दुर्घटनाका समाचार जब साध्वी सुव्रताने सुना; तब वह अपने मनमें कहने लगी-संग्राममें मनुष्योंका नाश कर नि:सन्देह मेरे दोनों पुत्र अधोगति प्राप्त करेंगे। किन्तु यह ठीक नहीं।
SR No.023182
Book TitleParshwanath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain Pt
PublisherKashinath Jain Pt
Publication Year1929
Total Pages608
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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