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________________ ३१० * पार्श्वनाथ-चरित्र - उसकी यह अवस्था देख दासिये व्याकुल हो गयीं। अन्तमें उन्होंने शीतलोपचार कर उसकी मूर्छा दूर की और वे उसे समझा कर घर ले आयीं। इसके बाद दासियों द्वारा यह हाल उसके माता पिताको मालम हुआ। राजकुमारी पार्श्वकुमार पर अनुरक्त है, यह जानकर उन्हें बहुत ही आनन्द हुआ। वे कहने लगे---"प्रभावतीने बहुत ही उपयुक्त वर पसन्द किया है। क्योंकि पार्श्वकुमारसे बढ़कर सुन्दर, सुशील और सद्गुणी वर इस समय संसारमें मिलना कठिन है। अतएव सुमुहूर्त देखकर स्वयंवरा प्रभा वतीको पार्श्वकुमारके पास भेज देना चाहिये ।" माता-पिताके इस निश्चयकी सूचना पाकर प्रभावतीको भी बड़ा हो आनन्द हुआ। ___ इधर कलिंगदेशका राजा पहलेसे हो प्रभावती पर अनुरक्त हो रहा था, इसलिये उसने जब सुना कि प्रभावती पार्श्वकुमारसे व्याह करनेवाली है, तब वह क्रुद्ध होकर कहने लगा-“प्रभावतीसे तो मैं ही व्याह करूंगा। प्रसेनजितकी क्या मजाल है जो वह मुझको छोड़कर पार्श्वकुमारसे उसका व्याह कर दे। इसके बाद वह बहुतसा सैन्य लेव.र कुशस्थल नगर पर चढ़ आया और नगरको चारों ओरसे घेर लिया। इससे नगरमें आने-जानेका मार्ग बन्द हो गया। यह देखकर प्रसेनजित राजाको बड़ो चिन्ता हुई और उसने मन्त्रियोंके साथ सलाह कर आपसे सहायता मांगना स्थिर किया है। मैं उनके मन्त्रोका पुत्र हूँ। आपसे यह हाल निवेदन करनेके लिये हो मुझे उन्होंने यहां भेजा है। अब आप जो उचित समझ, करें।
SR No.023182
Book TitleParshwanath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain Pt
PublisherKashinath Jain Pt
Publication Year1929
Total Pages608
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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